राजकीय माध्यमिक शिक्षा निदेशालय में समय पर कार्य निस्तारण न किए
जाने से शिक्षकों की पदोन्नति प्रभावित है। राजकीय माध्यमिक विद्यालयों के
सहायक अध्यापक (एलटी) एवं प्रवक्ता से अधीनस्थ राजपत्रित (गजेटेड) बने
शिक्षकों की वरिष्ठता सूची न बनने से छह वर्ष से ज्यादा समय से क्लास-2 में
पदोन्नति अटकी है। अब यह लड़ाई तेज हो गई हैं कि पूर्व की तरह 11:9 के
अनुपात यानी 11 एलटी और नौ प्रवक्ता के क्रम में ही पदोन्नति की जाए। यह
विरोध तब शुरू हुआ, जब प्रभारी माध्यमिक शिक्षा निदेशक बने डा. महेंद्र देव
ने पदोन्नति में पहले सभी प्रवक्ता, उसके बाद एलटी की व्यवस्था बना दी।
इसके विरोध में एलटी शिक्षक होई कोर्ट चले गए हैं।
पूर्व
में 11 एलटी और नौ प्रवक्ता अनुपात में पदोन्नति मिलती रहीं है। इधर, इस
व्यवस्था में बदलाव किए जाने से प्रकरण हाई कोर्ट पहुंच गया है। पदोन्नति
में पहले सभी प्रवक्ता, उसके बाद एलटी की व्यवस्था बनाए जाने के निदेशक के
निर्णय का एलटी शिक्षकों ने विरोध किया। इसके विरुद्ध प्रत्यावेदन दिए
लेकिन कोई सुनवाई न होने से नाराज शिक्षक हाई कोर्ट पहुंच गए। कोर्ट ने
मामले में माध्यमिक शिक्षा निदेशक को निर्देश दिया कि याचियों से
प्रत्यावेदन
लेकर तीन महीने में निर्णय करें। कोर्ट के आदेश पर शिक्षकों ने
प्रत्यावेदन दिए, लेकिन उस पर सुनवाई नहीं हुई। इस तरह निर्धारित तीन महीने
में निदेशक ने कोई निर्णय नहीं किया। ऐसे में एलटी शिक्षकों ने हाई कोर्ट
में अवमानना याचिका दाखिल कर दी, जिस पर जुलाई में सुनवाई प्रस्तावित है।
प्रकरण पर राजकीय शिक्षक संघ के प्रांतीय महामंत्री रामेश्वर प्रसाद
पाण्डेय ने बताया कि वरिष्ठता सूची नहीं बनने से पदोन्नति अटकी है, जबकि
तत्तकालीन विशेष सचिव माध्यमिक शिक्षा शंभू कुमार ने एक ही माह में तीन
पत्र जारी कर 11:9 के अनुपात में वरिष्ठता निर्धारित कर पदोन्नति के
निर्देश दिए थे, लेकिन प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ी। इस कारण जिनकी पदोन्नति
क्लास-2 में हो जानी थी, वह छह वर्ष से अधिक समय से अधीनस्थ राजपत्रित पद
पर ही बने हैं, जिनसे उनमें असंतोष है।
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