यूपी लोक सेवा आयोग भर्तियों की जाँच कर रही सीबीआई की तलाशी की प्रक्रिया हुई पूरी , अब आया कार्रवाई का वक़्त , परीक्षाओ के जाँच के मामले में सीबीआई ने आयोग में किये कई दस्तावेज सीज , क्लिक करे और पढ़े पूरी खबर

 यूपी लोक सेवा आयोग भर्तियों की जाँच कर रही सीबीआई  की तलाशी  की प्रक्रिया हुई पूरी , अब आया कार्रवाई का वक़्त , परीक्षाओ के जाँच के मामले में सीबीआई ने आयोग में किये कई दस्तावेज सीज , क्लिक करे और पढ़े पूरी खबर 





सीबीआई ने उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) में अपना तलाशी अभियान पूरा कर लिया है। इस दौरान सीबीआई ने कई महत्वपूर्ण अभिलेख सीज किए हैं तो कई अभिलेख सीबीआई की टीम अपने साथ ले गई। तकरीबन सप्ताह भर तक चली कार्रवाई के दौरान सीबीआई ने कई चार्ट भी बनाए हैं और आयोग के अधिकतर कर्मचारियों से पूछताछ भी की। तलाशी अभियान के दौरान अहम सुबूत जुटाने के बाद सीबीआई अब बड़ी कार्रवाई की तैयारी में है।
सीबीआई के 60 सदस्यों की आठ टीमों ने 15 मई से आयोग में तलाशी अभियान शुरू किया था। इस दौरान टीम ने वे सभी दस्तावेज खंगाले, जो आयोग ने सीबीआई को उपलब्ध नहीं कराए थे। तलाशी अभियान सीबीआई की ओर से आपराधिक धाराओं में दर्ज मुकदमे के तहत चलाया गया, सो इस बार टीम ने आयोग से अभिलेख मांगने की जगह सीधे उन्हें जब्त या सीज कर दिया। इस दौरान सीबीआई ने मॉडरेटर्स, परीक्षकों की सूची अपने कब्जे में ली। साथ ही परीक्षा केंद्रों की सूची भी जब्त की। इसके अलावा चार्ट फाइलिंग की। जो अभिलेख संदिग्ध लगे, उन्हें गवाहों के सामने सीज कर दिया गया। सीज अभिलेख आयोग में रखवा दिए गए हैं।

सीबीआई कई अभिलेख सीबीआई अपने साथ ले गई है। इनमें आयोग के कई विवादित फैसलों की प्रतियां भी हैं। सूत्रों का कहना है कि तलाशी अभियान के दौरान सीबीआई को अप्रैल 2013 से मार्च 2017 तक हुईं ज्यादातर परीक्षाओं में गड़बड़ी मिली है। यही वजह है कि सीबीआई को बड़ी मात्रा में अभिलेख सीज करने पड़े हैं। गोपनीय अनुभाग, अति गोपनीय विभाग और परीक्षा अनुभाग में तलाशी अभियान दौरान सीबीआई ने चार्ट फाइलिंग की और इस दौरान जो भी खामियां मिलीं, उनके बारे में संबंधित कर्मचारियों से पूछताछ भी की गई।


- आयोग में तलाशी अभियान के दौरान सीबीआई को विज्ञापन में भी गड़बड़ी किए जाने के सुबूत मिले हैं। कई विज्ञापनों में दिव्यांग कोटे के पद किसी दूसरे कोटे में शिफ्ट कर दिए गए। सिर्फ इतना ही नहीं, पदों को शिफ्ट किए जाने के आयोग के प्रस्ताव को तत्कालीन शासन ने भी अपनी मंजूरी दे दी। यही वजह है कि प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के बाद यूपीपीएससी की ओर से शासन को पत्र भेजकर कहा गया था कि आरक्षण का निर्धारण आयोग नहीं, बल्कि पदों का अधियाचन भेजने वाले संबंधित विभाग करेंगे। वर्तमान में विभाग ही आरक्षण का निर्धारण कर रहे हैं। नियमत: पदों के आरक्षण के निर्धारण की जिम्मेदारी विभागों की है लेकिन पूर्व अध्यक्ष अनिल यादव के कार्यकाल में यह अधिकार आयोग ने अपने पास रखा था। आयोग किस नियम के तहत ऐसा कर रहा था, सीबीआई अब इसकी जांच कर रही है।


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