प्रयागराज। राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद
(एनसीईआरटी) की किताबों में उत्तर प्रदेश की विशेषताएं और बोलियां आदि
जोड़ने के बाद अगले सत्र से इसकी पढ़ाई होगी। पहले शैक्षणिक सत्र 2023-24
से कक्षा एक और दो में एनसीईआरटी की किताबें लागू करने का निर्णय लिया गया
था। लेकिन नई शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के मुताबिक इन किताबों को यूपी के
परिवेश में ढालने के लिए लगने वाले समय को देखते हुए इस सत्र में पूर्व से
चल रही किताबों के जरिए ही पढ़ाई कराने का निर्णय लिया गया है।
राज्य
शिक्षा संस्थान एलनगंज पहले कक्षा एक में पढ़ाई जाने वाली एनसीईआरटी की
हिन्दी की किताब रिमझिम को यूपी के परिप्रेक्ष्य में तैयार करेगा और उसके
बाद अन्य विषयों को कस्टमाइज किया जाएगा। उदाहरण के तौर पर एनसीईआरटी की
किताब में केरल की यात्रा का जिक्र है तो यहां बनारस या लखनऊ की यात्रा का
वर्णन होगा। सूत्रों के अनुसार समग्र शिक्षा अभियान की वार्षिक कार्ययोजना
में बजट मिलने के बाद किताबों को यूपी के मुताबिक कस्टमाइज करने का काम
शुरू होगा। राज्य शिक्षा संस्थान एलनगंज ही भोजपुरी, अवधी, ब्रज और
बुंदेलखंडी भाषा का शब्दकोष (डिक्शनरी) तैयार कर रहा है। बच्चों के लिए
कार्यपुस्तिका भी बनाई जाएगी।
कक्षा एक व दो की किताबों का वर्कऑर्डर जल्द
एक
अप्रैल से शुरू हो रहे नए सत्र में परिषदीय प्राथमिक स्कूलों के कक्षा एक व
दो के बच्चों को नई किताबों के लिए थोड़ा इंतजार करना पड़ सकता है।
कैबिनेट ने दस मार्च को एनसीईआरटी किताबें लागू करने के निर्णय को निरस्त
कर दिया था। जिसके चलते कक्षा एक व दो की किताबें एक अप्रैल को नहीं मिल
सकेगी। महानिदेशक स्कूल शिक्षा विजय किरन आनंद ने बताया कि कक्षा तीन की
किताब मार्च अंत तक जिलों में पहुंच जाएगी। कक्षा एक व दो की किताबों के
लिए इसी सप्ताह वर्कऑर्डर जारी हो जाएगा और अप्रैल के तीसरे सप्ताह तक
किताबें पहुंचने लगेंगी। तब तक एक व दो के बच्चों के लिए उपचारात्मक
कक्षाएं चलाएंगे और पुरानी किताबों से पढ़ाई कराई जाएगी।
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