'असिस्टेंट प्रोफेसर के लिए खत्म की पीएचडी की अनिवार्यता'
शिक्षामंत्री बनने के बाद पहली बार किसी दीक्षांत समारोह में पहुंचे धर्मेन्द्र प्रधान ने कहा कि 2018- 19 और 2019-20 सत्र के छात्र-छात्राएं नई जिंदगी में जा रहे हैं जो नई जिम्मेदारियों से भरा होगा। भारत के सबसे पुरातन विश्वविद्यालय में से एक ने आपको मेडल और उपाधि दी है। आप जीवन में सफल होंगे और देश के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभाएंगे। जिस भारत की नियति में विश्व गुरु बनना लिखा है उसकी विरासत से आप निकले हैं।
भारत की शिक्षा व्यवस्था हमारी पूंजी है। देश में धीरे-धीरे शिक्षा व्यवस्था में सुधार हो रहा है। देश में आज नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू है। हमें विश्व की किसी भी भाषा से कोई परहेज नहीं है, लेकिन हमें अपनी मातृभाषा पर गर्व करना चाहिए। जापान और चीन जैसे देश अपनी भाषा के बूते सुपरपावर बने हैं। भारत सरकार ने नेशनल रिसर्च फाउंडेशन की परिकल्पना की है, इसमें साइंस और ह्यूमिनिटीज के विषयों में शोध को बढ़ावा दिया जाएगा।
हमारे डीएनए में प्रजातांत्रिक मूल्य हैं। प्रजातंत्र में व्यक्ति खुद के लिए नहीं बल्कि समाज के लिए जीता है। ऐसी हमारी विरासत है और हमारी शिक्षा व्यवस्था ने भी ऐसा ही हमें सिखाया है। कोरोना के खिलाफ लड़ाई में भारत मजबूती से खड़ा हुआ और देश में दो स्वदेशी वैक्सीन का निर्माण हुआ। प्रयागराज के लिए कहा कि यह महर्षि भरद्वाज की तपोभूमि और चंद्रशेखर आजाद की बलिदान भूमि है। प्राचीन भारत की सभ्यता की गंगा, यमुना, सरस्वती स्रोत है।
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