परीक्षा पास किए बिना डॉक्टरों के हाथों में मरीज नहीं सौंप सकते: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को पीजी मेडिकल छात्रों के एक समूह की कोविड-19 महामारी की स्थिति के मद्देनजर अंतिम परीक्षा से छूट देने की मांग करने वाली याचिका को खारिज कर दिया। जस्टिस इंदिरा बनर्जी और एमआर शाह की अवकाश पीठ ने कहा कि अदालत परीक्षा की छूट का आदेश पारित नहीं कर सकती, क्योंकि यह एक शैक्षिक नीति का मामला है। पीठ ने सुनवाई के दौरान पूछा, वे मरीजों का इलाज करेंगे। मरीज उन लोगों के हाथ में कैसे आ सकते हैं, जिन्होंने परीक्षा पास नहीं की है।
याचिकाकर्ता के वकील ने कहा ये सभी डॉक्टर विभिन्न कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में हैं और यह देखने के लिए कि क्या कुछ काम किया जा सकता है, कोर्ट से हस्तक्षेप की मांग की है। जस्टिस बनर्जी ने वकील से पूछा कि अदालत किसी परीक्षा से छूट देने का निर्णय कैसे ले सकती है। उन्होंने कहा कि अदालत किसी विशेष तिथि पर परीक्षा आयोजित करने में मनमानी की दलील या सुझाव को समझ सकती है लेकिन अदालत यह कैसे कह सकती है कि कोई परीक्षा नहीं होनी चाहिए। हालांकि, कोर्ट ने इस याचिका पर केंद्र सरकार और चिकित्सा आयोग को नोटिस जारी किया है।
सुप्रीम कोर्ट ने आईएनआई सीईटी 2021 परीक्षा के लिए 16 जून की तरीख तय करने के फैसले को शुक्रवार को मनमाना बताया और अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) को पीजी मेडिकल की प्रवेश परीक्षा एक महीने बाद कराने का निर्देश दिया। अवकाशकालीन पीठ ने परास्नातक मेडिकल में दाखिला चाहने वाले डॉक्टरों की याचिका पर यह निर्देश दिया और मामले का निस्तारण कर दिया। याचिका में आईएनआई सीईटी 2021 परीक्षा के लिए 16 जून की तारीख तय करने वाली अधिसूचना को चुनौती दी गई थी।
पीठ ने कहा कि परीक्षा के कारण उम्मीदवारों को हो रही दिक्कत और कोविड ड्यूटी के कारण कई डॉक्टरों के परीक्षा केंद्रों से दूर स्थानों पर काम करने की वजह से परीक्षा को टालने की जरूरत है। एम्स द्वारा आयोजित कराए जाने वाली राष्ट्रीय स्तर की इस परीक्षा में 815 सीटों के लिए करीब 80,000 अभ्यर्थी हैं। ये 815 सीटें एम्स और जिपमर पुडुचेरी, एनआईएमएचएएनएस बेंगलुरु और पीजीआईएमईआर चंडीगढ़ के आठ संस्थानों में हैं। आईएनआई सीईटी 2021 परीक्षा पहले 8 मई को होनी थी लेकिन कोविड-19 महामारी के कारण इसे 16 जून को कराने का फैसला लिया गया।
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