कानपुर में 260 एकड़ में प्रस्तावित मेगा लेदर पार्क में 5850 करोड़ रुपये का निवेश आएगा। इस पार्क में 50 हजार लोगों को नौकरियां मिलेंगी। मेगा लेदर कलस्टर प्रोजेक्ट के तहत बनने वाले इस पार्क में 20 मिलियन लीटर प्रतिदिन (एमएलडी) की क्षमता का कामन एफ्ल्युएंट ट्रीटमेंट प्लांट भी लगेगा। यह प्लांट पार्क की गंदगी गंगा नदी में जाने से रोकेगा।
डीपीआर स्वीकृति के लिए भारत सरकार को भेजी गई
यह जानकारी सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम विभाग के अपर मुख्य सचिव डा. नवनीत सहगल ने दी है। उन्होंने बताया है कि लेदर पार्क की विस्तृत कार्ययोजना (डीपीआर) भारत सरकार के उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग (डीपीआईआईटी) को भेज दी गई है। स्वीकृति मिलने के साथ ही मेगा लेदर पार्क के विकास का काम शुरू कराया जाएगा। भारत सरकार के वाणिज्य मंत्रालय से इस प्रोजेट के लिए सहमति ली जा चुकी है।
पार्क के लिए रमईपुर गांव में अधिग्रहित की गई है भूमि
डॉ. सहगल ने बताया है कि कानपुर के रमईपुर गांव में मेगा लेदर क्लस्टर की स्थापना के लिए भूमि अधिग्रहित की गई। यह देश का पहला लेदर पार्क होगा। इसकी स्थापना से कानपुर देश के दस बड़े लेदर मैन्युफैक्चरिंग राज्यों में अपने स्थान को और बेहतर करने में सफल होगा। कानपुर में मेगा लेदर क्लस्टर प्रोजेक्ट के तहत बनने वाले लेदर पार्क में 50 हजार लोगों को प्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिलेगा, जबकि डेढ़ लाख लोग अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार पाएंगे।
कारोबारियों के ठहरने और खाने-पीने का भी रहेगा इंतजाम
इस पार्क में डेढ़ सौ से अधिक टेनरी इकाइयां कार्य करेंगी। चमड़े से बने जूते, पर्स, जैकेट से लेकर अन्य विश्वस्तरीय उत्पाद इस पार्क में बनाकर उनका निर्यात किया जा सकेगा। पार्क सभी तरह की सुविधाओं से लैस होगा। इसमें लेदर उत्पादों के उत्पादन से लेकर उत्पादों के प्रदर्शन की भी व्यवस्था होगी। लेदर पार्क में उत्पादों को खरीदने के लिए आने वाले दुनियाभर के कारोबारियों के रुकने और खाने-पीने की व्यवस्था भी रहेगी। पार्क में कैंटीन और विश्राम गृह जैसी सुविधाएं विकसित की जाएंगी।