सीबीएसई बोर्ड परीक्षा 2020 ::: परीक्षार्थी चिंता से रहें दूर, करें कड़ी मेहनत , सीबीएसई की चेयरपर्सन अनीता करवाल ने परीक्षार्थियों को चिट्ठी लिखकर दी सलाह, क्लिक करे और पढ़े पूरी पोस्ट
सीबीएसई की चेयरपर्सन अनीता करवाल ने कहा है कि बोर्ड के परीक्षार्थी ज्ञान और क्षमता के साथ आगे बढ़ें। वे चिंताओं को खत्म करें और कड़ी मेहनत कर अपना सर्वश्रेष्ठ दें। परीक्षा के दौरान विद्यार्थी अपने ऊपर तनाव हावी न होने दें। इसलिए अंकों की दौड़ के बजाय अपने व्यक्तित्व को निखारने पर अधिक ध्यान दें। ये बातें उन्होंने चिट्ठी लिखकर बोर्ड परीक्षार्थियों से कहीं।गौरतलब है कि 15 फरवरी से केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) की परीक्षा शुरू हो रही है। परीक्षा को लेकर विद्यार्थियों के साथ-साथ उनके माता-पिता में तनाव देखने को मिलता है। इस तनाव को दूर करने और बोर्ड परीक्षा के सही मायने समझाने के लिए करवाल ने छात्रों को पत्र लिखकर शुभकामनाएं भी दी हैं। वह तीन साल से परीक्षा से पहले छात्र-छात्रओं के नाम चिट्ठी लिखती आ रही हैं। उन्होंने पत्र के माध्यम से छात्रों को परीक्षा को तनाव में न लेने की सलाह दी है। करवाल ने चिट्ठी में कई दिलचस्प और हौसला बढ़ाने वाली बातें लिखी हैं। अनीता ने बच्चों से कहा कि जीवन में कुछ भी करो, पर इतिहास बनाने से दूर रहना। उन्होंने छात्रों को पत्र के माध्यम से कहा कि परीक्षा में मिले अंक करियर नहीं तय करते हैं। कोई भी नियोक्ता स्कूल में मिले अंकों के बजाय यह जानना चाहेगा कि आप कठिन परिश्रम करते हैं या नहीं, रचनात्मक व्यक्ति हैं कि नहीं। वे आप में गहन सोच, समस्या सुलझाने की काबिलियत, अच्छा कम्युनिकेशन और सहयोग के कौशल को देखना चाहेंगे।अपने पत्र में उन्होंने छात्रों को सुझाव दिया है कि विभिन्न विषयों के बारे में जानकारी हासिल करने के लिए निश्चित तौर पर स्कूलिंग जरूरी होती है। जीवनर्पयत सीखने और नैतिकता व कुशलता हासिल करने के लिए व्यक्तित्व का विकास कहीं अधिक जरूरी है।
उन्होंने बताया कि वह अपने स्कूली दिनों में हमेशा अमेरिका को कोसती थीं, क्योंकि उनके फ्लोरा और फॉना अफ्रीका से बिल्कुल अलग थे। आखिर क्यों दुनिया एक जैसी और आसान नहीं हो सकती। उन्होंने कहा कि वह अतिरिक्त पाठ्यक्रम गतिविधियों में पढ़ाई-लिखाई से बेहतर थीं। हालांकि बॉयोलॉजी उनका पसंदीदा विषय था, जिसे वह खूब पढ़ती थीं।अनिता ने कहा कि स्कूल जाने और वहां पढ़ाई करने का मतलब सिर्फ बोर्ड परीक्षा नहीं होता है। आज जब अपने स्कूल के दिनों को याद करती हूं तो पिकनिक में जाना, वार्षिकोत्सव व खेल समारोह, दोस्तों के साथ मस्ती याद आती है। वहीं पढ़ाई की धुंधली सी यादें हैं, जिनमें इतिहास की बहुत सारी तिथियां हैं जो अब बिलकुल याद नहीं हैं।परीक्षा जीवन के सफर में मात्र एक पड़ाव : उन्होंने छात्रों को कहा कि आपने जीवन में कई पड़ाव पार किए हैं। जैसे घुटनों के बल चलते-चलते पैरों पर चलना सीखा, तुतला कर बोलने से लेकर साफ बोलना सीखा, दोस्त बनाने से लेकर टीम वर्क करना, पढ़ना, लिखना, खेलना, पेंट करना, गाना, इंटरनेट पर सर्च करना, खाना बनाना, बागवानी करना, अपने बड़ों का सम्मान करना, अपनी संस्कृति को जानना और भी बहुत कुछ। यह सभी आपके व्यक्तित्व का हिस्सा हैं। परीक्षा इन हजारों चीजों की सूची में से महज एक चीज है। यह उतना बड़ा हौवा नहीं है, जितना इसे बनाया जाता है। ये सिर्फ अपनी वास्तविक क्षमता ढूंढने के आपके सफर में एक मील का पत्थर है। आप यदि यह मान लें कि आप ऐसा कर सकते हैं, तो यह मुश्किल नहीं है।
सीबीएसई की चेयरपर्सन अनीता करवाल ने कहा है कि बोर्ड के परीक्षार्थी ज्ञान और क्षमता के साथ आगे बढ़ें। वे चिंताओं को खत्म करें और कड़ी मेहनत कर अपना सर्वश्रेष्ठ दें। परीक्षा के दौरान विद्यार्थी अपने ऊपर तनाव हावी न होने दें। इसलिए अंकों की दौड़ के बजाय अपने व्यक्तित्व को निखारने पर अधिक ध्यान दें। ये बातें उन्होंने चिट्ठी लिखकर बोर्ड परीक्षार्थियों से कहीं।गौरतलब है कि 15 फरवरी से केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) की परीक्षा शुरू हो रही है। परीक्षा को लेकर विद्यार्थियों के साथ-साथ उनके माता-पिता में तनाव देखने को मिलता है। इस तनाव को दूर करने और बोर्ड परीक्षा के सही मायने समझाने के लिए करवाल ने छात्रों को पत्र लिखकर शुभकामनाएं भी दी हैं। वह तीन साल से परीक्षा से पहले छात्र-छात्रओं के नाम चिट्ठी लिखती आ रही हैं। उन्होंने पत्र के माध्यम से छात्रों को परीक्षा को तनाव में न लेने की सलाह दी है। करवाल ने चिट्ठी में कई दिलचस्प और हौसला बढ़ाने वाली बातें लिखी हैं। अनीता ने बच्चों से कहा कि जीवन में कुछ भी करो, पर इतिहास बनाने से दूर रहना। उन्होंने छात्रों को पत्र के माध्यम से कहा कि परीक्षा में मिले अंक करियर नहीं तय करते हैं। कोई भी नियोक्ता स्कूल में मिले अंकों के बजाय यह जानना चाहेगा कि आप कठिन परिश्रम करते हैं या नहीं, रचनात्मक व्यक्ति हैं कि नहीं। वे आप में गहन सोच, समस्या सुलझाने की काबिलियत, अच्छा कम्युनिकेशन और सहयोग के कौशल को देखना चाहेंगे।अपने पत्र में उन्होंने छात्रों को सुझाव दिया है कि विभिन्न विषयों के बारे में जानकारी हासिल करने के लिए निश्चित तौर पर स्कूलिंग जरूरी होती है। जीवनर्पयत सीखने और नैतिकता व कुशलता हासिल करने के लिए व्यक्तित्व का विकास कहीं अधिक जरूरी है।
उन्होंने बताया कि वह अपने स्कूली दिनों में हमेशा अमेरिका को कोसती थीं, क्योंकि उनके फ्लोरा और फॉना अफ्रीका से बिल्कुल अलग थे। आखिर क्यों दुनिया एक जैसी और आसान नहीं हो सकती। उन्होंने कहा कि वह अतिरिक्त पाठ्यक्रम गतिविधियों में पढ़ाई-लिखाई से बेहतर थीं। हालांकि बॉयोलॉजी उनका पसंदीदा विषय था, जिसे वह खूब पढ़ती थीं।अनिता ने कहा कि स्कूल जाने और वहां पढ़ाई करने का मतलब सिर्फ बोर्ड परीक्षा नहीं होता है। आज जब अपने स्कूल के दिनों को याद करती हूं तो पिकनिक में जाना, वार्षिकोत्सव व खेल समारोह, दोस्तों के साथ मस्ती याद आती है। वहीं पढ़ाई की धुंधली सी यादें हैं, जिनमें इतिहास की बहुत सारी तिथियां हैं जो अब बिलकुल याद नहीं हैं।परीक्षा जीवन के सफर में मात्र एक पड़ाव : उन्होंने छात्रों को कहा कि आपने जीवन में कई पड़ाव पार किए हैं। जैसे घुटनों के बल चलते-चलते पैरों पर चलना सीखा, तुतला कर बोलने से लेकर साफ बोलना सीखा, दोस्त बनाने से लेकर टीम वर्क करना, पढ़ना, लिखना, खेलना, पेंट करना, गाना, इंटरनेट पर सर्च करना, खाना बनाना, बागवानी करना, अपने बड़ों का सम्मान करना, अपनी संस्कृति को जानना और भी बहुत कुछ। यह सभी आपके व्यक्तित्व का हिस्सा हैं। परीक्षा इन हजारों चीजों की सूची में से महज एक चीज है। यह उतना बड़ा हौवा नहीं है, जितना इसे बनाया जाता है। ये सिर्फ अपनी वास्तविक क्षमता ढूंढने के आपके सफर में एक मील का पत्थर है। आप यदि यह मान लें कि आप ऐसा कर सकते हैं, तो यह मुश्किल नहीं है।