यूपी पुलिस कांस्टेबल भर्ती 2015 ::आधे - अधूरे रिकॉर्ड के साथ हाजिर डीआईजी स्थापना को चेतावनी , रिक्त पदों की मांगी गयी थी जानकारी , क्लिक करे और पढ़े पूरी पोस्ट
प्रयागराज। सिविल पुलिस और पीएससी में कांस्टेबलों की भर्ती के लिए 2015 और 2018 के विज्ञापनों में कुछ पद रिक्त रह जाने के मामले में डीआईजी स्थापना मंगलवार को अधूरी जानकारी के साथ हाईकोर्ट में उपस्थित हुए। कोर्ट ने उनको 2015 और 2018 की भर्ती का पूरे रिकार्ड के साथ तलब किया था। मगर डीआईजी के पास कुल रिक्त पदों का पूरा ब्यौरा नहीं था। पूरी जानकारी देने के लिए उन्होंने कुछ और समय दिए जाने की मांग की। इसे मंजूर करते हुए कोर्ट ने कहा है कि यदि अगली सुनवाई पर जानकारी नहीं दी जाती है तो अदालत विपरीत आदेश पारित करेेगी। याचिका पर अगली सुनवाई 12 फरवरी 2020 को होगी। अजय प्रकाश मिश्र और सैकड़ों अन्य अभ्यर्थियों की याचिका पर न्यायमूर्ति एमसी त्रिपाठी सुनवाई कर रहे हैं। पुलिस भर्ती बोर्ड और राज्य सरकार की ओर से अपर मुख्य स्थायी अधिवक्ता संजय कुमार सिंह और अपूर्व हजेला ने कोर्ट को बताया कि डीआईजी स्थापना ने सभी जिला पुलिस प्रमुखों को पत्र लिखकर उनके यहां रिक्त पदों का ब्यौरा मांगा है। अभी पूरी जानकारी सभी जगह से मिल नहीं पाई है। उन्होंने कुछ और समय दिए जाने की मांग की। इस दौरान डीआईजी स्थापना डा. राकेश शंकर और भर्ती बोर्ड के सदस्य हफीर्जुर रहमान उपस्थित थे। याचीगण की ओर से अधिवक्ता सीमांत सिंह का कहना था कि 2015 की भर्ती में कई पद रिक्त रह गए हैं। कट ऑफ मेरिट नीचे लाकर इन पदों को भरा जाए। कोर्ट ने इस मामले में प्रदेश सरकार से जानकारी मांगी थी। सरकार की ओर से उपलब्ध कराई गई जानकारी में कई विरोधाभास थे। याचीगण के अधिवक्ता ने दी गई जानकारी का विरोध किया। कहा गया कि 2015 की नियमावली में इस बात का प्रावधान किया गया था कि यदि कोई पद रिक्त रह जाता है तो वह अगली भर्ती के लिए कैरीफारवर्ड किया जाएगा। जबकि भर्ती बोर्ड खुद ही कह रहा है कि बचे पदों को भर दिया गया है। दूसरी ओर बोर्ड का यह भी कहा है कि रिक्त रह गए पदों को 2018 की भर्ती में कैरीफारवर्ड किया गया है। ऐसा संभव नहीं है क्योंकि 2015 की भर्ती का परिणाम 15 मई 2018 को जारी हुआ जबकि 2018 की भर्ती का विज्ञापन जनवरी 2018 में ही जारी कर दिया गया था।