फर्जीवाड़ा ::: सेना के पांच एआरओ घूस लेकर कर रहे थे भर्तियां , 50 हजार में दौड़ और पांच लाख में भर्ती , क्लिक करे और पढ़े पूरी पोस्ट
सेना में रुपये लेकर नौकरी दिलाने वाले गिरोह के तार सेना से ही जुड़े हैं। पूछताछ में पता चला है कि गिरोह की मदद करने वाले आर्मी के सहायक भर्ती अधिकारी (एआरओ) वाराणसी, आगरा, लखनऊ, मेरठ, दिल्ली आर्मी में विभिन्न पदों पर तैनात हैं। दो डॉक्टरों के नाम भी सामने आए हैं। पुलिस ने मुकदमे में नाम बढ़ाते हुए इनकी गिरफ्तारी के प्रयास शुरू कर दिए हैं।
एसटीएफ डीएसपी ब्रजेश कुमार सिंह ने बताया कि पकड़े गए तीनों आरोपी सेना में तैनात लोगों की मदद से ही भर्ती कराते थे। इसमें हवलदार राहुल पाण्डेय एआरओ वाराणसी, हवलदार संतोष उर्फ सेंडी एआरओ आगरा, हवलदार विकास एमएच लखनऊ, हवलदार जगदेव सरदार एआरओ मेरठ, अजय सोलंकी एआरओ दिल्ली सहित डा. राधेश्याम एवं प्रमोद कुमार निवासी मेरठ शामिल हैं। इन सभी को मुकदमे में वांटेड कर दिया गया है। यह गिरोह अभ्यर्थी के पुलिस वैरीफिकेशन से लेकर मेडिकल, दौड़, ज्वाइनिंग लेटर मिलने तक की जिम्मेदारी लेता था।
डीएसपी ने बताया कि सेना के भर्ती केंद्रों से ही इस गिरोह के पास एक मैसेज आता था। इसमें अभ्यर्थी का नाम लिखा होता था। उस अभ्यर्थी के फर्जी कागजात तैयार किए जाते थे। मेडिकल और अन्य प्रक्रिया में फर्जी कागजात प्रयुक्त होते थे, जबकि वैरीफिकेशन के वक्त भर्ती केंद्र के भीतर ही फर्जी कागजातों को बदलकर असली कागजात लगा दिए जाते थे। मेडिकल में फिट करने के लिए मिलिट्री हॉस्पिटल के कई डॉक्टर इस गिरोह का हिस्सा थे।
सेना से रिटायर के बाद गिरोह से जुड़ा देवेंद्र
पकड़ा गया देवेंद्र कुमार शर्मा फिलहाल मेरठ में रोहटा रोड स्थित सरस्वती एन्क्लेव में रह रहा था। वह 1988 में मेरठ केंद्र से सेना में भर्ती हुआ था। इसके बाद वह पुच्छ, जम्मू-कश्मीर, देहरादून, आसाम, जालंधर, सियाचिन आदि स्थानों पर तैनात रह चुका है। जनवरी 2015 में मेरठ से सेवानिवृत हो गया। इसके बाद इस गिरोह के संपर्क में आया और रुपये लेकर भर्ती कराने लगा।
सेना में फर्जी तरीके से भर्ती कराने की शातिरों ने पूरी रेट लिस्ट बना रखी थी। अधूरे कागजात पूरा करने के लिए 10 हजार, दौड़ में पास कराने के 50 हजार और भर्ती के 5 लाख रुपये वसूलते थे। गिरोह के सदस्यों ने अपने-अपने काम बांट रखे थे। एसटीएफ मेरठ और पुलिस ने जब गिरोह के तीन सदस्यों को दबोच कर उनसे कड़ाई से पूछताछ की तो वे पूरा राज उगलते चले गए।
एसटीएफ मेरठ और बुलंदशहर नगर कोतवाली पुलिस की गिरफ्त में आए सेना में फर्जी तरीके से भर्ती कराने वाले गिरोह के सदस्य योजनाबद्ध तरीके से कार्य को अंजाम देते थे।
गिरफ्तार प्रवीण कुमार भारद्वाज उर्फ राहुल पंडित उर्फ गोगा निवासी ग्राम मढाहबीबपुर थाना पिसावा जनपद अलीगढ़ ने बुलंदशहर के यमुनापुरम में मकान लेकर रहना शुरू कर दिया। प्रवीण शर्मा ने पुलिस को बताया कि युवकों से संपर्क करने का कार्य उसका था। 3 से 5 लाख रुपये युवकों से वसूलते थे। यदि कोई अभ्यर्थी दौड़ पास नहीं कर पाता था तो उसकी जगह दूसरे युवक से दौड़ कराई जाती थी। इसकी एवज में 50 हजार रुपये दौड़ने वाले व्यक्ति को दिए जाते थे। भर्ती बोर्ड में मौजूद सदस्यों द्वारा एक एड्रेस व्हाटसएप से भेजा जाता था। इसमें उस अभ्यर्थी का नाम होता था, जिससे रुपये लिए जाने होते थे।
ऐसे अभ्यर्थी के फर्जी दस्तावेज यह गिरोह बनवाता था। रिटायर फौजी देवेंद्र शर्मा दूसरे आरोपी प्रवीण भारद्वाज के संपर्क में चार साल से था। तीसरे आरोपी नवनीत अग्रवाल का अलीगढ़ के कस्बा गोरई में कम्प्यूटर सेंटर है।
वह प्रवीण और सोनू चौधरी के कहने पर भर्ती होने वाले अभ्यर्थियों के फर्जी दस्तावेज और थम्ब क्लोन बनाता था। इस काम में उसे छह से आठ घंटे लगते थे। इस काम के बदले नवनीत को 10 हजार रुपये मिलते थे।
सेना में रुपये लेकर नौकरी दिलाने वाले गिरोह के तार सेना से ही जुड़े हैं। पूछताछ में पता चला है कि गिरोह की मदद करने वाले आर्मी के सहायक भर्ती अधिकारी (एआरओ) वाराणसी, आगरा, लखनऊ, मेरठ, दिल्ली आर्मी में विभिन्न पदों पर तैनात हैं। दो डॉक्टरों के नाम भी सामने आए हैं। पुलिस ने मुकदमे में नाम बढ़ाते हुए इनकी गिरफ्तारी के प्रयास शुरू कर दिए हैं।
एसटीएफ डीएसपी ब्रजेश कुमार सिंह ने बताया कि पकड़े गए तीनों आरोपी सेना में तैनात लोगों की मदद से ही भर्ती कराते थे। इसमें हवलदार राहुल पाण्डेय एआरओ वाराणसी, हवलदार संतोष उर्फ सेंडी एआरओ आगरा, हवलदार विकास एमएच लखनऊ, हवलदार जगदेव सरदार एआरओ मेरठ, अजय सोलंकी एआरओ दिल्ली सहित डा. राधेश्याम एवं प्रमोद कुमार निवासी मेरठ शामिल हैं। इन सभी को मुकदमे में वांटेड कर दिया गया है। यह गिरोह अभ्यर्थी के पुलिस वैरीफिकेशन से लेकर मेडिकल, दौड़, ज्वाइनिंग लेटर मिलने तक की जिम्मेदारी लेता था।
डीएसपी ने बताया कि सेना के भर्ती केंद्रों से ही इस गिरोह के पास एक मैसेज आता था। इसमें अभ्यर्थी का नाम लिखा होता था। उस अभ्यर्थी के फर्जी कागजात तैयार किए जाते थे। मेडिकल और अन्य प्रक्रिया में फर्जी कागजात प्रयुक्त होते थे, जबकि वैरीफिकेशन के वक्त भर्ती केंद्र के भीतर ही फर्जी कागजातों को बदलकर असली कागजात लगा दिए जाते थे। मेडिकल में फिट करने के लिए मिलिट्री हॉस्पिटल के कई डॉक्टर इस गिरोह का हिस्सा थे।
सेना से रिटायर के बाद गिरोह से जुड़ा देवेंद्र
पकड़ा गया देवेंद्र कुमार शर्मा फिलहाल मेरठ में रोहटा रोड स्थित सरस्वती एन्क्लेव में रह रहा था। वह 1988 में मेरठ केंद्र से सेना में भर्ती हुआ था। इसके बाद वह पुच्छ, जम्मू-कश्मीर, देहरादून, आसाम, जालंधर, सियाचिन आदि स्थानों पर तैनात रह चुका है। जनवरी 2015 में मेरठ से सेवानिवृत हो गया। इसके बाद इस गिरोह के संपर्क में आया और रुपये लेकर भर्ती कराने लगा।
सेना में फर्जी तरीके से भर्ती कराने की शातिरों ने पूरी रेट लिस्ट बना रखी थी। अधूरे कागजात पूरा करने के लिए 10 हजार, दौड़ में पास कराने के 50 हजार और भर्ती के 5 लाख रुपये वसूलते थे। गिरोह के सदस्यों ने अपने-अपने काम बांट रखे थे। एसटीएफ मेरठ और पुलिस ने जब गिरोह के तीन सदस्यों को दबोच कर उनसे कड़ाई से पूछताछ की तो वे पूरा राज उगलते चले गए।
एसटीएफ मेरठ और बुलंदशहर नगर कोतवाली पुलिस की गिरफ्त में आए सेना में फर्जी तरीके से भर्ती कराने वाले गिरोह के सदस्य योजनाबद्ध तरीके से कार्य को अंजाम देते थे।
गिरफ्तार प्रवीण कुमार भारद्वाज उर्फ राहुल पंडित उर्फ गोगा निवासी ग्राम मढाहबीबपुर थाना पिसावा जनपद अलीगढ़ ने बुलंदशहर के यमुनापुरम में मकान लेकर रहना शुरू कर दिया। प्रवीण शर्मा ने पुलिस को बताया कि युवकों से संपर्क करने का कार्य उसका था। 3 से 5 लाख रुपये युवकों से वसूलते थे। यदि कोई अभ्यर्थी दौड़ पास नहीं कर पाता था तो उसकी जगह दूसरे युवक से दौड़ कराई जाती थी। इसकी एवज में 50 हजार रुपये दौड़ने वाले व्यक्ति को दिए जाते थे। भर्ती बोर्ड में मौजूद सदस्यों द्वारा एक एड्रेस व्हाटसएप से भेजा जाता था। इसमें उस अभ्यर्थी का नाम होता था, जिससे रुपये लिए जाने होते थे।
ऐसे अभ्यर्थी के फर्जी दस्तावेज यह गिरोह बनवाता था। रिटायर फौजी देवेंद्र शर्मा दूसरे आरोपी प्रवीण भारद्वाज के संपर्क में चार साल से था। तीसरे आरोपी नवनीत अग्रवाल का अलीगढ़ के कस्बा गोरई में कम्प्यूटर सेंटर है।
वह प्रवीण और सोनू चौधरी के कहने पर भर्ती होने वाले अभ्यर्थियों के फर्जी दस्तावेज और थम्ब क्लोन बनाता था। इस काम में उसे छह से आठ घंटे लगते थे। इस काम के बदले नवनीत को 10 हजार रुपये मिलते थे।