12वीं फेल UPSC सिविल सेवा परीक्षा पास कर बना IPS ऑफिसर , क्लिक करे और पढ़े पूरी पोस्ट

12वीं फेल UPSC सिविल सेवा परीक्षा पास कर बना IPS ऑफिसर , क्लिक करे और पढ़े पूरी पोस्ट 



UPSC सिविल सेवा परीक्षा पास कर IAS और IPS बनाना इस देश के लाखों युवाओं का सपना होता है। कुछ युवा पहले ही अटेंप्ट में इस चुनौतीपूर्ण परीक्षा को क्रैक कर अपने ख्वाब को हकीकत में बदल लते हैं तो कुछ सालों से अपनी मंजिल पाने के लिए संघर्ष करते रहते हैं। देश की राजधानी दिल्ली के मुखर्जी नगर, नेहरु विहार, गांधी विहार, कटवरिया सराय, बेर सराय जैसे इलाकों में स्थित हॉस्टलों और छोटे छोटे कमरों में किराये पर रहते हुए ऐसे हजारों युवा आपको नजर आ जाएंगे जो यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा पास करने का सपना संजोए जीतोड़ मेहनत में जुटे रहते हैं। बहुत से कई साल तैयारी करने के बाद सफल नहीं हो पाते और आखिर में उनकी हिम्मत जब टूट जाती है तो वह करियर का कोई दूसरा विकल्प चुन लेते हैं। और कुछ ऐसे होते हैं जो सफल होने की जिद्द से तब तक संघर्ष करते हैं जब तक सारे दरवाजे बंद नहीं हो जाते। जिद्द से अपनी मंजिल को कैसा हासिल किया जाए और फेल होने के बाद करियर खत्म नहीं हो जाता, ये सीख मिलती है आईपीएस मनोज कुमार शर्मा की कहानी से। 

2005 बैच के महाराष्ट्र कैडर से आईपीएस बने मनोज कुमार शर्मा मुंबई में एडिशनल कमिश्रनर ऑफ वेस्ट रीजन के पद पर तैनात हैं। मध्यप्रदेश के मुरैना जिले में जौरा तहसील के बिलगांव गांव में जन्मे मनोज 12वीं तक पढ़ाई में मामूली छात्र रहे। टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक मनोज बताते हैं कि 'क्लास में आने वाले मार्क्स जिंदगी में सफलता का पैमाना नहीं होते। मैंने 10वीं का एग्जाम तीसरी डिविजन के साथ पास किया था। 11वीं क्लास में भी मेरी सेकंड डिविजन आई थी।' हालांकि, उन्होंने इसे कभी भी खराब अकादमिक प्रदर्शन को जीवन में रुकावट नहीं बनने दिया। 


12वीं में हो गए थे फेल
एक वीडियो इंटरव्यू के जरिए उन्होंने बताया, उनका प्लान 12वीं में जैसे-तैसे पास होकर, टाइपिंग सीखकर कहीं न कहीं जॉब ढूंढने का था। उन्होंने 12वीं की परीक्षा में नकल करने का भी पूरा प्लान बना रखा था। लेकिन एसडीएम ने स्कूल में सख्ती की और नकल नहीं होने दी। और नतीजतन मैं 12वीं में फेल हो गया। 


अमूमन कोई भी विद्यार्थी उस एसडीएम को कोसता लेकिन मनोज शर्मा ने उसकी तरह बनने की ठान ली। फिर जो संघर्ष का रास्ता चुना वह सफलता की मंजिल की तरफ बढ़ता गया। आर्थिक संकट ने मनोज की राह मे काफी रोड़े डाले। लेकिन उनके संघर्ष, जिद्द और धैर्य के आगे सब बौने साबित हो गए। पैसों की तंगी को दूर करने के लिए शर्मा को बड़े लोगों के कुत्तों की देखभाल करनी पड़ी। लाइब्रेरी में काम करना पड़ा। वह यूपीएससी सिविल सेवा की परीक्षा में तीन बार फेल हुए। लेकिन चौथे प्रयास में बाजी मार ली। 


12वीं फेल का ठप्पा प्यार में दिक्कत
12वीं फेल का ठप्पा मनोज का पीछा नहीं छोड़ता था। जिस लड़की से प्यार किया, उससे भी दिल की बात नहीं कह पा रहे थे। डर था कि वो कह न दे 12वीं फेल हो। इसलिए फिर से पढ़ाई शुरू की। दिल्ली के नेहरु विहार आकर यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी की। 

मनोज शर्मा पर अनुराग पाठक ‘12th फेल, हारा वही जो लड़ा नहीं’ शीर्षक से किताब लिख चुके है। अनुराग ने एक दृष्टि आईएएस को दिए इंटरव्यू में कहा, इनकी कहानी लिखने के पीछे का उद्देश्य बच्चों को प्रेरित करना है। 


Previous Post Next Post