आईटीआई में कम हुआ अभ्यर्थियों का रुझान , आईटीआई में खाली रह गईं 17,679 सरकारी सीटें , क्लिक करे और पढ़े पूरी पोस्ट
राजकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों (आईटीआई) में भी अभ्यर्थियों का रुझान कम होता दिख रहा है। 15 से ज्यादा ट्रेड ऐसी हैं, जिनमें अभ्यर्थियों ने दाखिले से दूरी बना ली है। इसमें वेल्डर, प्लम्बर, ड्रेस मेकिंग, बेसिक कॉस्मेटॉलजी, स्विंग टेक्नॉलजी, पेंटर जनरल और फैशन टेक्नॉलजी प्रमुख हैं। सबसे खराब स्थिति बेसिक कॉस्मेटॉलजी ट्रेड की है। इसमें 4953 सीटें खाली रह गईं हैं। वहीं, सभी ट्रेडों में कुल खाली सीटों का आंकड़ा 17,679 पहुंच गया है। राज्य व्यावसायिक प्रशिक्षण परिषद ने इस साल सरकारी और प्राइवेट संस्थानों में हुए दाखिले की रिपोर्ट तैयारी की है, जिसमें यह आंकड़े सामने आए हैं।
राज्य व्यावसायिक प्रशिक्षण परिषद के सहायक निदेशक एसके कमल ने बताया कि यूपी के 3,035 राजकीय और प्राइवेट आईटीआई संस्थानों में 4,36,172 सीटों पर दाखिले के लिए चार चरण की काउंसलिंग हुई थी। इनमें मेरिट के आधार पर सरकारी की 1,21,120 सीटों पर दाखिले का आखिरी मौका 16 सितंबर तक दिया गया। इसके बाद भी अकेले राजकीय आईटीआई में ही 17,679 सीटें खाली रह गई हैं। इनमें कई प्रमुख ट्रेड ऐसे हैं, जो डिमांड में रहते हैं।
राजकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों (आईटीआई) में भी अभ्यर्थियों का रुझान कम होता दिख रहा है। 15 से ज्यादा ट्रेड ऐसी हैं, जिनमें अभ्यर्थियों ने दाखिले से दूरी बना ली है। इसमें वेल्डर, प्लम्बर, ड्रेस मेकिंग, बेसिक कॉस्मेटॉलजी, स्विंग टेक्नॉलजी, पेंटर जनरल और फैशन टेक्नॉलजी प्रमुख हैं। सबसे खराब स्थिति बेसिक कॉस्मेटॉलजी ट्रेड की है। इसमें 4953 सीटें खाली रह गईं हैं। वहीं, सभी ट्रेडों में कुल खाली सीटों का आंकड़ा 17,679 पहुंच गया है। राज्य व्यावसायिक प्रशिक्षण परिषद ने इस साल सरकारी और प्राइवेट संस्थानों में हुए दाखिले की रिपोर्ट तैयारी की है, जिसमें यह आंकड़े सामने आए हैं।
राज्य व्यावसायिक प्रशिक्षण परिषद के सहायक निदेशक एसके कमल ने बताया कि यूपी के 3,035 राजकीय और प्राइवेट आईटीआई संस्थानों में 4,36,172 सीटों पर दाखिले के लिए चार चरण की काउंसलिंग हुई थी। इनमें मेरिट के आधार पर सरकारी की 1,21,120 सीटों पर दाखिले का आखिरी मौका 16 सितंबर तक दिया गया। इसके बाद भी अकेले राजकीय आईटीआई में ही 17,679 सीटें खाली रह गई हैं। इनमें कई प्रमुख ट्रेड ऐसे हैं, जो डिमांड में रहते हैं।