अब वर्दी बताएगी जवान कहां हैं , वर्दी में अंतर्निहित रहेगा सेंसर , क्लिक करे और पढ़े पूरी पोस्ट
असम की पहाड़ियों में सेना के हेलीकॉप्टर गायब होने की घटना तो आपको याद ही होगी, जिसमें वायु सैनिकों के शव खोजने में काफी समय लगा था। लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। उत्तर प्रदेश वस्त्र प्रौद्योगिकी संस्थान (यूपीटीटीआइ) सेना के लिए स्मार्ट क्लॉथ (वर्दी) तैयार करने जा रहा है। इसमें लगे सेंसर व चिप से सैनिकों की लोकेशन आसानी से जानकर उनकी मदद की जा सकेगी। इसकी रूपरेखा तैयार कर ली गई है। संस्थान के वरिष्ठ प्रोफेसर जल्द ही सैन्य अधिकारियों के साथ बैठक करेंगे। सेंसर युक्त कपड़ों पर अनुसंधान के लिए डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय से 60 लाख रुपये का अनुदान भी मिल चुका है। इसके लिए वरिष्ठ प्रोफेसरों के निर्देशन में पीएचडी व एमटेक छात्रों की टीम बनाई जा रही है।
विशेष सिक्योरिटी फीचर भी होगा : इसमें ऐसे सेंसर इस्तेमाल किए जाएंगे जो धुलाई करने से भी खराब नहीं होंगे। ये सेंसर सेना के विशेष सिक्योरिटी फीचर से लैस होंगे जिसके कोड को सिर्फ सेना ही डिकोड कर पाएगी। कपड़ों पर इस तरह से सेंसर लगाए जाएंगे जिससे पहनने में परेशानी न हो।
प्रोजेक्ट प्रमुख व यूपीटीटीआइ के निदेशक प्रोफेसर मुकेश कु मार सिंह ने बताया कि सेंसर व चिप युक्त वर्दी पहने सैनिकों की लोकेशन यूनिट के अधिकारी कभी भी जान सकेंगे। इसके लिए सेंसर का इस्तेमाल किया जाएगा, जो जैकेट व ट्राउजर में अंतर्निहित रहेगा। उन्होंने बताया कि वर्तमान में नैनो क्लॉथ पर शोध शुरू हो चुका है। प्रयोगशाला में ऐसे कपड़े विकसित करने पर काम चल रहा है जो पसीने की दरुगध का अहसास भी नहीं होने देंगे।
असम की पहाड़ियों में सेना के हेलीकॉप्टर गायब होने की घटना तो आपको याद ही होगी, जिसमें वायु सैनिकों के शव खोजने में काफी समय लगा था। लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। उत्तर प्रदेश वस्त्र प्रौद्योगिकी संस्थान (यूपीटीटीआइ) सेना के लिए स्मार्ट क्लॉथ (वर्दी) तैयार करने जा रहा है। इसमें लगे सेंसर व चिप से सैनिकों की लोकेशन आसानी से जानकर उनकी मदद की जा सकेगी। इसकी रूपरेखा तैयार कर ली गई है। संस्थान के वरिष्ठ प्रोफेसर जल्द ही सैन्य अधिकारियों के साथ बैठक करेंगे। सेंसर युक्त कपड़ों पर अनुसंधान के लिए डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय से 60 लाख रुपये का अनुदान भी मिल चुका है। इसके लिए वरिष्ठ प्रोफेसरों के निर्देशन में पीएचडी व एमटेक छात्रों की टीम बनाई जा रही है।
विशेष सिक्योरिटी फीचर भी होगा : इसमें ऐसे सेंसर इस्तेमाल किए जाएंगे जो धुलाई करने से भी खराब नहीं होंगे। ये सेंसर सेना के विशेष सिक्योरिटी फीचर से लैस होंगे जिसके कोड को सिर्फ सेना ही डिकोड कर पाएगी। कपड़ों पर इस तरह से सेंसर लगाए जाएंगे जिससे पहनने में परेशानी न हो।
प्रोजेक्ट प्रमुख व यूपीटीटीआइ के निदेशक प्रोफेसर मुकेश कु मार सिंह ने बताया कि सेंसर व चिप युक्त वर्दी पहने सैनिकों की लोकेशन यूनिट के अधिकारी कभी भी जान सकेंगे। इसके लिए सेंसर का इस्तेमाल किया जाएगा, जो जैकेट व ट्राउजर में अंतर्निहित रहेगा। उन्होंने बताया कि वर्तमान में नैनो क्लॉथ पर शोध शुरू हो चुका है। प्रयोगशाला में ऐसे कपड़े विकसित करने पर काम चल रहा है जो पसीने की दरुगध का अहसास भी नहीं होने देंगे।