अब संस्कृत में भी होगी पहली से आठवीं तक पढ़ाई , सितंबर से प्रवेश, तीसरी, पांचवीं व आठवीं कक्षाओं में देनी होगी परीक्षा , क्लिक करे और पढ़े पूरी पोस्ट
भारतीय ज्ञान परम्परा को बढ़ावा देने में जुटी सरकार अब संस्कृत में भी स्कूली शिक्षा देगी। इसके तहत पहली से आठवीं तक की पढ़ाई संस्कृत में होगी। इसके विषय राष्ट्रीय पाठ्यक्रम की रूपरेखा के तहत होंगे। इसमें भाषा, गणित और पर्यावरण विषय मुख्य रूप से शामिल रहते हैं। संस्कृत पाठ्यक्रम में भाषा के स्थान पर संस्कृत पढ़ाई जाएगी। गणित के स्थान पर वैदिक गणित और पर्यावरण विषय के स्थान पर वेदों में पर्यावरण से जुड़ाव से संबंधित पाठ पढ़ाए जाएंगे।
मानव संसाधन विकास मंत्रलय से जुड़ी संस्था राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान (एनआइओएस) ने लंबी कवायद के बाद यह नया पाठ्यक्रम तैयार किया है। इसमें सिंतबर से बच्चों को प्रवेश देने का काम भी शुरू हो जाएगा। इसे लेकर तेजी इसलिए भी दिखाई जा रही है क्योंकि यह सरकार और एनआइओएस के सौ दिनों के एजेंडे में शामिल है। स्कूलों में मौजूदा समय में पढ़ाई सिर्फ हंिदूी और अंग्रेजी में ही कराई जाती है।
एनआइओएस के अध्यक्ष प्रोफेसर सीबी शर्मा के मुताबिक स्कूली शिक्षा के लिए इस कोर्स को तैयार करने में राष्ट्रीय पाठ्यक्रम रूपरेखा का पूरा ध्यान रखा गया है। इसे कुछ इस तरह तैयार किया जा रहा है, जिसमें प्रत्येक कक्षा का अपना अलग पाठ्यक्रम होगा। पहली से आठवीं तक की पढ़ाई के बीच परीक्षा सिर्फ तीन बार ही होगी। इनमें पहली परीक्षा तीसरी कक्षा के स्तर पर होगी, जो पहली, दूसरी और तीसरी कक्षा के पाठ्यक्रम पर आधारित होगी। दूसरी परीक्षा पांचवीं के स्तर पर होगी, जिसमें चौथी और पांचवीं का पाठ्यक्रम शामिल होगा। इसी तरह तीसरी परीक्षा आठवीं के स्तर पर होगी, जिसमें छठी, सातवीं और आठवीं का पूरा पाठ्यक्रम शामिल होगा।
मुख्यधारा से जुड़ेंगे गुरुकुल के बच्चे : देशभर में मुक्त और दूरस्थ शिक्षा देने में जुटी एनआइओएस ने गुरुकुलों में पढ़ने वाले बच्चों को भी लक्ष्य किया है। इसके तहत इन बच्चों को भी अब स्कूली शिक्षा से जोड़ा जाएगा, जिसके बाद वह आगे की पढ़ाई जारी रख सकेंगे। अभी तक गुरुकुलों में पढ़ने वाले बच्चों की कोई भी मान्यता नहीं है। मौजूदा समय में देशभर में छह हजार से ज्यादा गुरुकुल संचालित हो रहे हैं। फिलहाल एनआइओएस इन सभी गुरुकुलों से संपर्क करने में जुटा है।
भारतीय ज्ञान परम्परा को बढ़ावा देने में जुटी सरकार अब संस्कृत में भी स्कूली शिक्षा देगी। इसके तहत पहली से आठवीं तक की पढ़ाई संस्कृत में होगी। इसके विषय राष्ट्रीय पाठ्यक्रम की रूपरेखा के तहत होंगे। इसमें भाषा, गणित और पर्यावरण विषय मुख्य रूप से शामिल रहते हैं। संस्कृत पाठ्यक्रम में भाषा के स्थान पर संस्कृत पढ़ाई जाएगी। गणित के स्थान पर वैदिक गणित और पर्यावरण विषय के स्थान पर वेदों में पर्यावरण से जुड़ाव से संबंधित पाठ पढ़ाए जाएंगे।
मानव संसाधन विकास मंत्रलय से जुड़ी संस्था राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान (एनआइओएस) ने लंबी कवायद के बाद यह नया पाठ्यक्रम तैयार किया है। इसमें सिंतबर से बच्चों को प्रवेश देने का काम भी शुरू हो जाएगा। इसे लेकर तेजी इसलिए भी दिखाई जा रही है क्योंकि यह सरकार और एनआइओएस के सौ दिनों के एजेंडे में शामिल है। स्कूलों में मौजूदा समय में पढ़ाई सिर्फ हंिदूी और अंग्रेजी में ही कराई जाती है।
एनआइओएस के अध्यक्ष प्रोफेसर सीबी शर्मा के मुताबिक स्कूली शिक्षा के लिए इस कोर्स को तैयार करने में राष्ट्रीय पाठ्यक्रम रूपरेखा का पूरा ध्यान रखा गया है। इसे कुछ इस तरह तैयार किया जा रहा है, जिसमें प्रत्येक कक्षा का अपना अलग पाठ्यक्रम होगा। पहली से आठवीं तक की पढ़ाई के बीच परीक्षा सिर्फ तीन बार ही होगी। इनमें पहली परीक्षा तीसरी कक्षा के स्तर पर होगी, जो पहली, दूसरी और तीसरी कक्षा के पाठ्यक्रम पर आधारित होगी। दूसरी परीक्षा पांचवीं के स्तर पर होगी, जिसमें चौथी और पांचवीं का पाठ्यक्रम शामिल होगा। इसी तरह तीसरी परीक्षा आठवीं के स्तर पर होगी, जिसमें छठी, सातवीं और आठवीं का पूरा पाठ्यक्रम शामिल होगा।
मुख्यधारा से जुड़ेंगे गुरुकुल के बच्चे : देशभर में मुक्त और दूरस्थ शिक्षा देने में जुटी एनआइओएस ने गुरुकुलों में पढ़ने वाले बच्चों को भी लक्ष्य किया है। इसके तहत इन बच्चों को भी अब स्कूली शिक्षा से जोड़ा जाएगा, जिसके बाद वह आगे की पढ़ाई जारी रख सकेंगे। अभी तक गुरुकुलों में पढ़ने वाले बच्चों की कोई भी मान्यता नहीं है। मौजूदा समय में देशभर में छह हजार से ज्यादा गुरुकुल संचालित हो रहे हैं। फिलहाल एनआइओएस इन सभी गुरुकुलों से संपर्क करने में जुटा है।