हाईस्कूल व इण्टर की बोर्ड परीक्षा शुल्क में हुई वृद्धि का होगा विरोध , माध्यमिक वित्तविहीन शिक्षक महासभा ने बैठक कर लिया फैसला , क्लिक करे और पढ़े पूरी पोस्ट

हाईस्कूल व इण्टर की बोर्ड परीक्षा शुल्क में हुई वृद्धि का होगा विरोध , माध्यमिक वित्तविहीन शिक्षक महासभा ने बैठक कर लिया फैसला ,  क्लिक करे और पढ़े पूरी पोस्ट 






माध्यमिक वित्तविहीन शिक्षक महासभा के प्रान्तीय कार्यालय में बृहस्पतिवार को प्रदेश अध्यक्ष उमेश द्विवेदी (सदस्य विधान परिषद) की अध्यक्षता में एक बैठक का आयोजन किया गया।बैठक को संम्बोधित करते हूये उमेश द्विवेदी ने कहा कि हाईस्कूल एवं इटरमीडिएट की बोर्ड परीक्षा शुल्क में बेतहाशा बृद्धि करने पर माध्यमिक वित्त्विहीन शिक्षक महासभा पुरजोर तरीके से सरकार के इस निर्णय का विरोध करेगी। उन्होंने बताया कि पहले हाईस्कूल की बोर्ड परीक्षा शुल्क 200 रपए था, अब इसे बढ़ाकर 500 रपए कर दिया गया है। इसी तरह इण्टरमीडिएट की परीक्षा के शुल्क को 220 रपए से बढ़ाकर 600 रपए कर दिया गया है। संगठन के कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष संजय कुमार मिश्र (सदस्य विधान परिषद) ने कहा कि सरकार को इस शुल्क बृद्धि के निर्णय को वापस लेना चाहिये। प्रदेश महासचिव अजय सिंह एडवोकेट ने कहा कि सरकार एक तरफ तो गरीब विद्यार्थियों से पैसा लूट रही है और दूसरी तरफ वित्तविहीन शिक्षकों को एक भी पैसा न देकर समाज में विद्यार्थी और शिक्षक दोनों को संविधान में शिक्षा के प्रति किये गये वादे के खिलाफ कार्य रही है। बैठक मेंअशोक कुमार राठौर प्रधान महासचिव, रेनू मिश्रा अध्यक्ष महिला प्रकोष्ठ, बी.के. शुक्ल प्रदेश महासचिव, निशी श्रीवास्तव प्रदेश महासचिव, शिवशरण प्रसाद प्रदेश कोषाध्यक्ष सहित अन्य पदाधिकारी उपस्थित थे।वहीं जनता दल यू के प्रदेश प्रवक्ता प्रो. केके त्रिपाठी ने माध्यमिक शिक्षा बोर्ड द्वारा 10 वीं व 12 वीं की परीक्षाओं की फीस ढाई गुना तक बढ़ाने की घोर निंदा की है तथा मुख्यमंत्री से मांग की है कि तत्काल प्रभाव से ढाईगुना फीस बढ़ोत्तरी को वापस ले ताकि गरीब छात्रों को फीस बढ़ोत्तरी से राहत मिल सके। उन्होंने कहा कि हई स्कूल व इण्टरमीडिएट के छात्र ज्यादातर ग्रामीण परिवेश से आते है उनके माता पिता की आय भी निश्चित नहीं है। जिससे वह ढाईगुना फीस का बोझ नहीं उठा सकते। सरकार ने यदि फीस बढ़ोत्तरी वापस नहीं ली तो जनता दल यू मजदूरों किसानों, बुनकरों गरीबों को लामबंद करके धरना प्रदर्शन के लिए बाध्य है।



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