बीएड कालेजों में पढ़ने और पढ़ाने वालों पर रहेगी नजर। , शिक्षकों के प्रशिक्षण की गुणवत्ता को बेहतर बनाने में जुटी सरकार ने एक और बड़ा कदम उठाया , क्लिक करे और पढ़े पूरी पोस्ट
शिक्षकों के प्रशिक्षण की गुणवत्ता को बेहतर बनाने में जुटी सरकार ने एक और बड़ा कदम उठाया है। इसके तहत सभी संस्थानों को अब छात्रों और शिक्षकों की हर दिन की उपस्थिति का ब्योरा आनलाइन देना होगा। राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) ने इसे लेकर सभी संस्थानों को निर्देश दिए हैं। साथ ही सभी बीएड कालेजों और दूसरे शिक्षक प्रशिक्षण संस्थानों को एक महीने के भीतर बायोमीटिक मशीनें लगाने के लिए कहा है। एनसीटीई ने यह निर्देश शिक्षकों और छात्रों के नियमित संस्थान न आने की शिकायतों के बाद दिया है।
एनसीटीई ने निर्देश का पालन न करने वाले संस्थानों की मान्यता रद करने की भी हिदायत दी है। ऐसे सभी संस्थानों को एनसीटीई ही मान्यता देती है। हालांकि, इनके कामकाज को जांचने का जिम्मा उन विश्वविद्यालयों का है, जिनसे ये संबद्ध हैं। एनसीटीई सहित मानव संसाधन विकास मंत्रलय के पास लगातार शिकायतें पहुंच रही थीं। हालांकि छात्रों को 70 फीसद से अधिक की उपस्थिति के निर्देश दिए गए थे, लेकिन इसका भी ठीक तरीके से अनुपालन नहीं कराया जा रहा। इसमें भी संस्थानों की मिलीभगत सामने आने लगी थी।
शिक्षकों के प्रशिक्षण की गुणवत्ता को बेहतर बनाने में जुटी सरकार ने एक और बड़ा कदम उठाया है। इसके तहत सभी संस्थानों को अब छात्रों और शिक्षकों की हर दिन की उपस्थिति का ब्योरा आनलाइन देना होगा। राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) ने इसे लेकर सभी संस्थानों को निर्देश दिए हैं। साथ ही सभी बीएड कालेजों और दूसरे शिक्षक प्रशिक्षण संस्थानों को एक महीने के भीतर बायोमीटिक मशीनें लगाने के लिए कहा है। एनसीटीई ने यह निर्देश शिक्षकों और छात्रों के नियमित संस्थान न आने की शिकायतों के बाद दिया है।
एनसीटीई ने निर्देश का पालन न करने वाले संस्थानों की मान्यता रद करने की भी हिदायत दी है। ऐसे सभी संस्थानों को एनसीटीई ही मान्यता देती है। हालांकि, इनके कामकाज को जांचने का जिम्मा उन विश्वविद्यालयों का है, जिनसे ये संबद्ध हैं। एनसीटीई सहित मानव संसाधन विकास मंत्रलय के पास लगातार शिकायतें पहुंच रही थीं। हालांकि छात्रों को 70 फीसद से अधिक की उपस्थिति के निर्देश दिए गए थे, लेकिन इसका भी ठीक तरीके से अनुपालन नहीं कराया जा रहा। इसमें भी संस्थानों की मिलीभगत सामने आने लगी थी।