अच्छी खबर :: ग्रामीण बैंकों में 11,000 नियुक्तियों का रास्ता साफ , सुप्रीम कोर्ट ने याचिका खारिज की, प्रतीक्षा सूची के उम्मीदवारों ने दायर की थी याचिका , क्लिक करे और पढ़े पूरी पोस्ट

अच्छी खबर :: ग्रामीण बैंकों में 11,000 नियुक्तियों का रास्ता साफ , सुप्रीम कोर्ट ने याचिका खारिज की, प्रतीक्षा सूची के उम्मीदवारों ने दायर की थी याचिका  , क्लिक करे और पढ़े पूरी पोस्ट 




सुप्रीम कोर्ट ने ग्रामीण बैंकों के विभिन्न पदों के चयनित लगभग 11,000 उम्मीदवारों की नियुक्ति का रास्ता साफ कर दिया है। प्रतीक्षा सूची के अभ्यर्थियों की याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया। सुप्रीम कोर्ट के 30 जनवरी के यथास्थिति के आदेश के कारण प्रतियोगी परीक्षा के जरिए चयनित उम्मीदवारों की नियुक्ति रुक गई थी। पांच महीने के अंतराल के बाद नियुक्ति पत्र एक बार फिर जारी हो सकेंगे। जस्टिस उदय उमेश ललित और विनीत सरन की बेंच ने प्रतीक्षा सूची में शामिल उम्मीदवारों याचिका खारिज कर दी। केन्द्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि ग्रामीण बैंकों में अफसरों तथा अन्य पदों के लिए चयनित उम्मीदवारों की नियुक्ति पर लगी रोक तुरंत हटाई जाए। सुप्रीम कोर्ट के यथास्थिति बनाए रखने के आदेश के कारण 11,000 चयनित अफसरों की नियुक्ति नहीं हो पा रही है। ग्रामीण बैंकों में कर्मचारियों की कमी के कारण कृषि से संबंधित कामकाज प्रभावित हो रहा है। फसल के लिए किसानों को वित्तीय सुविधा प्रदान करना मुश्किल हो रहा है। ग्रामीण बैंकों में 11 नियुक्तियों को लेकर विवाद है, लेकिन इससे 45 ग्रामीण बैंकों में चयनित 11,000 उम्मीदवारों की नियुक्ति रुकी पड़ी है। केन्द्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दायर जवाब में कहा था कि अदालत के 30 जनवरी, 2019 के यथास्थिति बनाए रखने के आदेश के कारण 45 क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों का कामकाज प्रभावित हुआ है। बैंकों में बड़े पैमाने पर कर्मचारी सेवानिवृत्त हो रहे हैं। उनकी जगह नई नियुक्तियां होनी हैं। करीब 11 हजार चयनित उम्मीदवारों ने हस्तक्षेप याचिका दायर कर यथास्थिति आदेश हटाने की अपील की थी। उम्मीदवारों की तरफ से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मीनाक्षी अरोड़ा, अपूर्व अग्रवाल और उनकी टीम के तकरे को स्वीकार करते हुए सर्वोच्च अदालत ने याचिका का निपटारा कर दिया। अपूर्व अग्रवाल ने बताया कि अदालत ने कहा कि याचिका को तर्कसंगत नहीं पाया गया और कहा कि हम इसमें हस्तक्षेप नहीं करना चाहेंगे।

कोर्ट ने याचिका का निपटारा कर दिया। ग्रामीण बैंकों में चयन के लिए 2017 में बैंक कर्मचारी चयन संस्थान(आईबीपीएस) ने परीक्षा का आयोजन किया था। आईबीपीएस ने सुप्रीम कोर्ट में दायर अपने जवाब में कहा कि प्रतीक्षा सूची के उम्मीदवारों को अधिकार के तौर पर नियुक्ति नहीं मिलती है। परीक्षा में सफल होने वाले उम्मीदवार यदि बैंक की नौकरी में दिलचस्पी नहीं दिखाते और रिक्त पद होने पर ही प्रतीक्षा सूची के उम्मीदवारों को बुलाया जाता है। दूसरे, प्रतीक्षा सूची की मियाद एक साल होती है। आईबीपीएस ने भी प्रतीक्षा सूची के 11 उम्मीदवारों द्वारा दायर याचिका को खारिज करने का सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया था। ग्रामीण बैंकों के गठन और उनके लिए दिशा-निर्देश तैयार करने वाली संस्था नाबार्ड ने भी संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत दायर याचिका को खारिज करने का आग्रह अदालत से किया है। विवेक किशोर तथा अन्य की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने 30 जनवरी को यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया था। अनंतिम आवंटियों ने सुप्रीम कोर्ट में दायर अर्जी में कहा है कि संबंधित ग्रामीण बैंकों ने उन्हें कॉल लेटर जारी कर दिया है, लेकिन उसके बावजूद नियुक्त नहीं हो पा रही है। आईबीपीएस ने 2017 में छठी चयन प्रक्रिया के तहत बैंकों में कर्मचारियों के रिक्त पद भरने का काम किया था। अब सातवीं कड़ी के परीक्षा परिणाम भी आ चुके हैं। लिहाजा यथास्थिति के आदेश को वापस लिया जाए। आईबीपीएस ने 56 बैंकों में रिक्त पदों के लिए जुलाई 2017 में विज्ञापन निकाला था। एक फरवरी, 2018 को परीक्षा परिणाम घोषित किए गए।


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