उत्तर प्रदेश में संदिग्ध रिकॉर्ड में फंसी लाखों छात्रों की छात्रवृत्ति , शासन ने यूपी बोर्ड को छोड़ अन्य सभी बोर्ड से दसवीं करने वाले छात्र-छात्राओं को संदिग्ध श्रेणी में डाला , क्लिक करे और पढ़े पूरी खबर

उत्तर प्रदेश में संदिग्ध रिकॉर्ड में फंसी लाखों छात्रों की छात्रवृत्ति , शासन ने यूपी बोर्ड को छोड़ अन्य सभी बोर्ड से दसवीं करने वाले छात्र-छात्राओं को संदिग्ध श्रेणी में डाला , क्लिक करे और पढ़े पूरी खबर 




फर्जीवाडा रोकने को शुरू हुई स्कॉलरिशप की ट्रेकिंग के बावजूद अन्य बोर्ड के नाम पर हुए खेल से मेरठ-सहानपुर मंडल के एक लाख स्टूडेंट का रिकॉर्ड संदिग्ध श्रेणी में फंस गया है। शासन ने यूपी बोर्ड को छोड़ अन्य सभी बोर्ड से दसवीं करने वाले छात्र-छात्राओं को संदिग्ध श्रेणी में डालते हुए छात्रवृत्ति रोक दी है। इन सभी छात्र-छात्राओं को दसवीं की मार्कशीट की सत्यापित कॉपी जमा करानी होगी। ऐसा नहीं करने पर छात्रों की स्कॉलरशिप जारी नहीं हो सकेगी। प्रदेशभर में संदिग्ध श्रेणी में फंसे छात्र-छात्राओं की संख्या करीब 25 लाख है। .

उक्त मामला यूजी-पीजी द्वितीय एवं फाइनल इयर के छात्र-छात्राओं का है। इन छात्राओं ने अन्य बोर्ड से दसवीं उत्तीर्ण दिखाया है। इसमें सीबीएसई, आईएससी और अन्य राज्य बोर्ड के छात्र शामिल हैं। छात्रवृत्ति में फर्जीवाड़ा रोकने के लिए समाज कल्याण विभाग छात्रों के रोल नंबर से छात्रवृत्ति की ट्रेकिंग करता है। चूंकि यूपी बोर्ड के छात्रों का डाटा शासन के पास होता है ऐसे में 10 वीं के रोल नंबर से छात्र को मिली छात्रवृत्ति-प्रतिपूर्ति का पूरा रिकॉर्ड एक क्लिक पर मिल जाता है। इससे छात्र एक कोर्स में या एक ही समय में एक से अधिक कोर्स में प्रतिपूर्ति या छात्रवृत्ति नहीं ले पाता, लेकिन अन्य बोर्ड का रिकॉर्ड इस तरह से ट्रेक नहीं हो पाता। ऐसे में कॉलेजों ने फर्जीवाड़ा करने के लिए बड़ी संख्या में अन्य बोर्ड से 10 वीं दिखाना शुरू कर दिया। मामले की जांच हुई तो इसमें से कुछ फर्जी मिले। इसी क्रम में शासन ने अन्य बोर्ड या राज्य बोर्ड से 10 वीं पास छात्र-छात्राओं को संदिग्ध श्रेणी में डाल दिया है। विवि में ऐसे एक लाख छात्र हैं। .

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