अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की ग्राम विकास अधिकारी की परीक्षा में सेंधमारी की कोशिश , 35 गिरफ्तार , गिरफ्तार होने वालो में तीन स्कूल के प्रबंधक भी , क्लिक करे और पढ़े पूरी खबर

अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की ग्राम विकास अधिकारी की परीक्षा में सेंधमारी की कोशिश , 35 गिरफ्तार , गिरफ्तार होने वालो में तीन स्कूल के प्रबंधक भी , क्लिक करे और पढ़े पूरी खबर 



यूपी एसटीएफ ने शनिवार से शुरू हुई ग्राम पंचायत अधिकारी व ग्राम विकास अधिकारी के पदों पर भर्ती परीक्षा में नकल कराने वाले गैंग का खुलासा करते हुए गैंग का सरगना, दो स्कूल प्रबंधक, दस कक्ष निरीक्षक, आधा दर्जन अभ्यर्थी व तीन साल्वर समेत 21 को गिरफ्तार किया है। एसटीएफ एसएसपी अभिषेक सिंह ने बताया कि गिरोह का सरगना डा.शरद कुमार सिंह मिर्जापुर के चुनार क्षेत्र के कैलहट गांव का रहने वाला है, जबकि उसका साथी उत्तम कुमार बाराबंकी के हेतमपुर-जहांगीराबाद का है। इनकी निशानदेही पर एसटीएफ ने अलग-अलग स्थानों से फैज्जुलागंज (मड़ियांव), लखनऊ निवासी नरेन्द्र कुमार व मुकेश पटेल को गिरफ्तार किया। नरेन्द्र त्रिवेणीनगर के ब्राइट सन पब्लिक स्कूल व मुकेश कृष्णानगर के सिटी माडर्न एकेडमी का प्रबंधक है। इसके अलावा हरिहरनगर-इन्दिरानगर के लाल बहादुर सिंह इण्टर कालेज के मैनेजर का भाई अनिल गिरफ्तार किया गया। कक्ष निरीक्षक में सरैया (बाराबंकी) का आनन्द, हमीरपुर का चन्द प्रकाश, सवरेदयनगर-इन्दिरानगर का मनोज सिंह, भैसुरिया, फतेहपुर बाराबंकी का आनन्द कुमार वर्मा, बाराबंकी का वैभव कुमार, प्राशुं वर्मा, गोरखपुर का धनंजय चौधरी, बाराबंकी का संदीप कुमार व हरदोई का शैलेन्द्र कुमार यादव है। इसके अतिरिक्त एसटीएफ ने परीक्षार्थी परमात्मा प्रसाद, शैलेन्द्र वर्मा, कमलेश कुमार तथा नीरज पाल को पकड़ा है। एसटीएफ की एक अन्य टीम ने निशातगंज के एमकेएसडी इंटर कालेज से साल्वर विकास को गिरफ्तार किया। जानकीपुरम के कृष्णा कावेंट कालेज से साल्वर मनीष तथा सत्येन्द्र कुमार को पकड़ा गया है। उन्होंने बताया कि गिरफ्तार स्कूल प्रबंधक व उनके साथी लम्बे समय से प्रतियोगी परीक्षाओं में नकल कराने के गोरखधंधे में लिप्त थे। इसके लिए वह अपने मन मुताबिक कक्ष निरीक्षकों की ड्यूटी लगाते थे। इन निरीक्षकों की मार्फत वाट्सएप पर पेपर साल्वरों के पास भेजकर उन्हें हाल कराते थे। इसके अतिरिक्त आंसर की भी साल्वरों के पास भेजी जाती थी। इसकी एवज में पांच से लेकर दस लाख रुपये लिये जाते थे।


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