चेहतों को नौकरी दिलाने के उड़ाई गयी कट ऑफ मानकों की धज्जियां , नेशनल हेल्थ मिशन भर्ती घोटाला , क्लिक करे और पढ़े पूरी भर्ती प्रक्रिया के बारे में

चेहतों को नौकरी दिलाने के उड़ाई गयी कट ऑफ मानकों की धज्जियां , नेशनल हेल्थ मिशन भर्ती घोटाला , क्लिक करे और पढ़े पूरी भर्ती प्रक्रिया के बारे में 



नेशनल हेल्थ मिशन के तहत भर्ती घोटाले में अफसरों ने बड़े पैमाने पर लापरवाही बरती। चेहतों को नौकरी दिलाने के मकसद से कटऑफ का मानक तक परीक्षा एजेंसी को नहीं दिया। परीक्षा एजेंसी ने जो रिजल्ट एनएचएम को सौंपा। अफसरों ने देखकर तस्दीक की जरूरत भी नहीं समझी। अफसरों ने खामियों वाला रिजल्ट एनआईसी को अपलोड करने के लिए सौंप दिया।

संविदा पर होनी हैं भर्ती : 
एनएचएम के तहत पैरामेडिकल्स के 4072 संविदा पदों पर भर्ती के लिए पांच नवम्बर को प्रदेश भर में लिखित परीक्षा हुई थी। करीब 93 हजार 585 अभ्यर्थियों ने आवेदन किया था। करीब 60 हजार छात्र-छात्रओं ने परीक्षा दी। 22 दिसम्बर को परीक्षा परिणाम घोषित किया गया। पैरामेडिकल भर्ती परीक्षा में एएनएम, स्टाफ नर्स, लैब टेक्नीशियन, लैब अटैंडेंट और पीआरओ के पद शामिल हैं।

न्यूनतम मेरिट का गणित : 
भर्ती घोटाले का पर्दाफाश होने के बाद प्रदेश सरकार ने नियमों को सख्ती से लागू करने का दावा किया है। एनएचएम अफसर के मंसूबों पर पानी फेरने के लिए कटऑफ जारी करने का फैसला किया है। जनरल कैटेगरी के अभ्यर्थियों को पास होने के लिए कम से कम 33 प्रतिशत अंक लाने होंगे। ओबीसी के लिए 30 प्रतिशत अंक तय किए गए हैं। एससी व एसटी कैटेगरी वाले अभ्यर्थियों के लिए 24 प्रतिशत न्यूनतम अंक मुकर्रर किए गए हैं। इसके बाद मेरिट जारी होगी।

एनएचएम ने भर्तियों के लिए कोलकाता की इंस्टीट्यूट ऑफ एजुकेशन एंड एग्जामिनेशन मैनेजमेंट (आईईईएम) को ठेका दिया गया था। इसी कंपनी ने प्रदेश स्तर पर परीक्षा कराई। बताया गया है कि स्वास्थ्य भवन में तैनात एक अफसर ने कोलकाता की कंपनी को ठेका दिलाने में अहम भूमिका अदा की। आईईईएम ने रिजल्ट बनाकर एनएचएम को सौंप दिया। अफसरों ने कंपनी पर आंख मूंद का भरोसा किया। 

रिजल्ट को देखने तक की जहमत नहीं उठाई। आधा-अधूरा रिजल्ट अपलोड़ कर दिया गया। नतीजतन तीन अंक पाने वाले को पास दिखाया गया। वहीं 64 अंक पाने वाली छात्र को फेल कर दिया गया। सैकड़ों की संख्या में कम अंक पाने वालो अभ्यर्थियों का चयन कर लिया गया। वहीं 60 प्रतिशत से अधिक अंक पाने वालों को बाहर का रास्ता दिखा गया। 
रिजल्ट जारी होने के बाद प्रदेश भर में हंगामा खड़ा हो गया। अभ्यर्थियों ने परीक्षा में धांधली का आरोप लगाया। बिना कटऑफ जिलेवार मेरिट बनाने वाली आईईईएम एजेंसी पर सरकार मेहरबान है। यही वजह है कि 24 घंटे से ज्यादा बीतने पर परीक्षा कराने वाली एजेंसी पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।

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