पूवरेत्तर रेलवे में जल्द ही समाप्त होंगे चतुर्थ और तृतीय श्रेणी के 700 पद , पदों को समाप्त करने के लिए रेलवे बोर्ड ने किये दिशा-निर्देश जारी , रेलवे बोर्ड के इस फरमान से कर्मचारी संगठन में रोष , क्लिक करे और पढ़े पूरी खबर

 पूवरेत्तर रेलवे में जल्द ही समाप्त होंगे चतुर्थ और तृतीय श्रेणी के 700 पद , पदों को समाप्त करने के लिए रेलवे बोर्ड ने किये दिशा-निर्देश  जारी ,  रेलवे बोर्ड के इस फरमान से कर्मचारी संगठन में रोष , क्लिक करे और पढ़े पूरी खबर 




पूवरेत्तर रेलवे जल्द ही 700 पदों को समाप्त करने जा रहा है। चतुर्थ और तृतीय श्रेणी के इन पदों को रेलवे बोर्ड निर्थक मान चुका है। पदों को समाप्त करने के लिए रेलवे बोर्ड ने दिशा-निर्देश भी जारी कर दिए हैं। रेलवे बोर्ड के इस फरमान से कर्मचारी संगठन सकते में हैं।

पूवरेत्तर रेलवे ही नहीं भारतीय रेलवे के 16 जोनल रेलवे में 11040 पद सिरेंडर किए जाने हैं। महाप्रबंधकों को लिखे अपने पत्र में रेलवे बोर्ड ने कहा है कि स्टडी रिपोर्ट के अनुसार पूवरेत्तर रेलवे में 700 और भारतीय रेलवे में 11040 पद निर्थक हैं, जो लंबे समय से खाली चल रहे हैं। उत्तर रेलवे और दक्षिण रेलवे में तो 1500-1500 पद निर्थक पड़े हुए हैं। यह सभी ऐसे पद हैं जिनकी वर्तमान में कोई आवश्यकता नहीं है।

पिछले कई वर्षो में न केवल तकनीक बदल गई है, बल्कि कार्य संस्कृति और सेवाओं के स्वरूप में भी काफी बदलाव हुआ है। ऐसे में यह पद रेलवे के लिए फायदे की बजाय नुकसानदायक साबित हो रहे हैं। ऐसे में इन पदों को सरेंडर करना ही उचित होगा। बोर्ड के निर्देश मिलने के बाद इन पदों को समाप्त करने की प्रक्रिया शुरू हो गई है।

विभागों से मांगा जा रहा कर्मचारियों का व्यौरा : 
रेलवे बोर्ड ने सभी विभागों से तैनात कर्मचारियों का व्यौरा मांगा है। बोर्ड के दिशा-निर्देश पर विभाग के अधिकारी कर्मचारियों की लिस्ट तैयार कर रहे हैं। विभाग में कर्मचारियों की संख्या, पदनाम, कार्य, मोबाइल नंबर और पता आदि की सूची तैयार हो रही है। यहां जान लें कि पूवरेत्तर रेलवे में लगभग 52 हजार तथा भारतीय रेलवे में करीब 13 लाख रेलकर्मी तैनात हैं। रेलवे बोर्ड के इस फरमान से कर्मचारी संगठनों में रोष है।

एनई रेलवे मजदूर यूनियन (नरमू) के संयुक्त महामंत्री नवीन कुमार मिश्र कहते हैं कि रेलवे बोर्ड पिछले कई वर्ष से पदों को सरेंडर कर रहा है। पदों को निर्थक बताना एक बहाना है। पदों पर जब तैनाती ही नहीं होगी तो वे खाली ही रहेंगे। भारतीय मजदूर संघ के प्रदेश अध्यक्ष राधेकृष्ण कहते हैं कि बोर्ड के आदेश से रेलवे और कर्मचारियों दोनों का नुकसान है।

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