पीसीएस जे. की भर्ती परीक्षा उप्र लोकसेवा आयोग ही कराएगा , आयोग को 330 पदों पर भर्ती के लिए प्रस्ताव शासन की ओर से भेजा गया है जिस पर शीघ्र ही नोटिफिकेशन होगा जारी , क्लिक करे और पढ़े पूरी खबर

 पीसीएस जे. की भर्ती परीक्षा उप्र लोकसेवा आयोग ही कराएगा ,  आयोग को 330 पदों पर भर्ती के लिए प्रस्ताव शासन की ओर से भेजा गया है जिस पर शीघ्र ही  नोटिफिकेशन होगा जारी , क्लिक करे और पढ़े पूरी खबर 




उप्र न्यायिक सेवा सिविल जज (जूनियर डिवीजन) यानि पीसीएस जे. की भर्ती परीक्षा उप्र लोकसेवा आयोग ही कराएगा। परीक्षा कराने के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट के प्रस्ताव पर शासन ने कोई विचार नहीं किया है। आयोग को 330 पदों पर भर्ती के लिए प्रस्ताव शासन की ओर से भेजा गया है जिस पर शीघ्र ही परीक्षा कार्यक्रम का नोटिफिकेशन जारी होगा।

गौरतलब है कि पीसीएस जे परीक्षा आयोग ही कराता रहा है। यह बात दीगर है कि बीच के कई सत्रों में यह परीक्षा नहीं हो सकी। 2017 में भी आयोग ने पीसीएस जे परीक्षा नहीं कराई थी। 2016 में हुई परीक्षा का परिणाम जारी हो चुका है। पीसीएस जे 2018 की परीक्षा पर भी असमंजस व्याप्त था, क्योंकि पहली छमाही के परीक्षा कैलेंडर में आयोग ने 13 मई को परीक्षा की तारीख घोषित की थी, लेकिन ये 15 जनवरी तक अधियाचन आने की स्थिति में ही संभव था।

शासन से अधियाचन नहीं आने पर परीक्षा नहीं हो सकी और विगत दिनों जारी दूसरी छमाही के परीक्षा कैलेंडर में भी पीसीएस जे 2018 का जिक्र न होने से असमंजस की स्थिति बनी रही। बुधवार को आयोग में शासन से न्यायिक अधिकारियों के 330 पदों पर भर्ती कराने का अधियाचन आ गया। जिससे एक बार फिर इस बात पर मुहर लग गई कि पीसीएस जे परीक्षा आयोग ही कराएगा।

सचिव जगदीश ने बताया कि अधियाचन न आने की स्थिति में दूसरी छमाही के परीक्षा कैलेंडर में इस परीक्षा की तारीख का जिक्र नहीं किया गया था। अब अधियाचन आ गया है इसलिए अलग से परीक्षा की तारीख निर्धारित करते हुए नोटिफिकेशन जारी किया जाएगा। इसके लिए पहले आयोग की बैठक में तैयारी पर विचार विमर्श होगा।

सपा शासन में हाईकोर्ट ने भेजा था प्रस्ताव
पीसीएस जे परीक्षा कराने के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सपा शासन में ही प्रस्ताव भेजा था। प्रदेश में भाजपा सरकार गठित होने के बाद भी न्यायिक अधिकारियों की भारी कमी बताते हुए हाईकोर्ट ने उस प्रस्ताव को स्वीकृत कर परीक्षा की जिम्मेदारी देने की बात रखी थी। फिलहाल शासन ने इस प्रस्ताव पर कोई विचार न करते हुए उप्र लोकसेवा आयोग को ही परीक्षा कराने का जिम्मा सौंप दिया है।

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