खर्चो में कटौती के लिए रेलवे खत्म करेगा 11 , 040 पद , जोनल रेलवे के महाप्रबंधकों को किया गया फरमान जारी , उत्तर रेलवे में 1500 व पूर्वोत्तर रेलवे में 700 पद खत्म होंगे , क्लिक करे और पढ़े पूरी खबर
खर्चों में कटौती के लिए रेलवे ने इस वित्तीय वर्ष में 11,040 पदों को खत्म करने का लक्ष्य तय किया है। इस बाबत जोनल रेलवे के महाप्रबंधकों को फरमान जारी किया गया है। इसमें उत्तर रेलवे में 1500 व पूर्वोत्तर रेलवे में 700 पद खत्म होंगे। इस आदेश के विरोध में यूनियनों ने कमर कस ली है।
भारतीय रेल में 13 लाख से अधिक कर्मचारी हैं। रेल यात्रियों व मालभाड़े से जो कमाई होती है, उसका आधा हिस्सा रेलकर्मियों की तनख्वाह व अन्य सुविधाओं पर खर्च हो जाता है। इससे उबरने के लिए रेलवे बोर्ड ने यह योजना बनाई है। बता दें कि 2015 में गठित देब्रो कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में कर्मियों की संख्या कम करने की संस्तुति की थी।
इसके बाद रेलवे बोर्ड प्रतिवर्ष स्टाफ कम करने के लिए फरमान जारी कर रहा है। रेलवे में 16 जोन और करीब 70 मंडल हैं। अधिकारियों के मुताबिक बहुत से पद ऐसे हैं, जिनकी आवश्यकता नहीं है। लिहाजा, उन्हें खत्म कर खर्च घटाया जा रहा है। पद कम करने से जो खर्च बचेगा उसका 25 प्रतिशत हिस्सा रेलवे बोर्ड को मिलेगा। इससे यात्री सुविधाएं बढ़ेंगी व अन्य विकास कार्य होंगे।
ऑल इंडिया रेलवे मेंस फेडरेशन(एआईआरएफ) के महासचिव शिवगोपाल मिश्र का कहना है कि रेलवे में सेफ्टी से जुड़े दो लाख पद खाली पड़े हैं। उसे लेकर कोई चिंता नहीं है। हर साल पदों को खत्म करने के फरमान जारी हो रहे हैं। ट्रेनों के संचालन से लेकर रेलकर्मियों के हितों तक पर रेलवे का ध्यान नहीं है। खर्च घटाने और आय बढ़ाने पर पूरा जोर है। इसी क्रम में रेलवे ने मालगाड़ियों के बेहतर संचालन पर जोर दिया है। इसके चलते सात हजार करोड़ रुपये की आय हुई है जबकि यात्री गाड़ियों से सिर्फ दो हजार करोड़ कमाए गए हैं।
खर्चों में कटौती के लिए रेलवे ने इस वित्तीय वर्ष में 11,040 पदों को खत्म करने का लक्ष्य तय किया है। इस बाबत जोनल रेलवे के महाप्रबंधकों को फरमान जारी किया गया है। इसमें उत्तर रेलवे में 1500 व पूर्वोत्तर रेलवे में 700 पद खत्म होंगे। इस आदेश के विरोध में यूनियनों ने कमर कस ली है।
भारतीय रेल में 13 लाख से अधिक कर्मचारी हैं। रेल यात्रियों व मालभाड़े से जो कमाई होती है, उसका आधा हिस्सा रेलकर्मियों की तनख्वाह व अन्य सुविधाओं पर खर्च हो जाता है। इससे उबरने के लिए रेलवे बोर्ड ने यह योजना बनाई है। बता दें कि 2015 में गठित देब्रो कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में कर्मियों की संख्या कम करने की संस्तुति की थी।
इसके बाद रेलवे बोर्ड प्रतिवर्ष स्टाफ कम करने के लिए फरमान जारी कर रहा है। रेलवे में 16 जोन और करीब 70 मंडल हैं। अधिकारियों के मुताबिक बहुत से पद ऐसे हैं, जिनकी आवश्यकता नहीं है। लिहाजा, उन्हें खत्म कर खर्च घटाया जा रहा है। पद कम करने से जो खर्च बचेगा उसका 25 प्रतिशत हिस्सा रेलवे बोर्ड को मिलेगा। इससे यात्री सुविधाएं बढ़ेंगी व अन्य विकास कार्य होंगे।
ऑल इंडिया रेलवे मेंस फेडरेशन(एआईआरएफ) के महासचिव शिवगोपाल मिश्र का कहना है कि रेलवे में सेफ्टी से जुड़े दो लाख पद खाली पड़े हैं। उसे लेकर कोई चिंता नहीं है। हर साल पदों को खत्म करने के फरमान जारी हो रहे हैं। ट्रेनों के संचालन से लेकर रेलकर्मियों के हितों तक पर रेलवे का ध्यान नहीं है। खर्च घटाने और आय बढ़ाने पर पूरा जोर है। इसी क्रम में रेलवे ने मालगाड़ियों के बेहतर संचालन पर जोर दिया है। इसके चलते सात हजार करोड़ रुपये की आय हुई है जबकि यात्री गाड़ियों से सिर्फ दो हजार करोड़ कमाए गए हैं।
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