सपा सरकार में सहकारिता विभाग एवं उसके अधीनस्थ संस्थाओं में हुई सभी नियुक्तियों की जांच विशेष अनुसंधान दल (एसआइटी) से कराने के लिए शासन ने निर्देश दिया लेकिन नहीं हो सकी अभी तक जाँच शुरू , एसआइटी ने शासन से स्पष्ट दिशा निर्देश मांगे , क्लिक करे और पढ़े पूरी खबर

सपा सरकार में सहकारिता विभाग एवं उसके अधीनस्थ संस्थाओं में हुई सभी नियुक्तियों की जांच विशेष अनुसंधान दल (एसआइटी) से कराने के लिए शासन ने निर्देश दिया लेकिन नहीं हो सकी अभी तक जाँच शुरू , एसआइटी ने शासन से स्पष्ट दिशा निर्देश मांगे , क्लिक करे और पढ़े पूरी खबर 




सपा सरकार में सहकारिता विभाग एवं उसके अधीनस्थ संस्थाओं में हुई सभी नियुक्तियों की जांच विशेष अनुसंधान दल (एसआइटी) से कराने के लिए शासन ने निर्देश दिया लेकिन, अभी यह जांच शुरू नहीं हो सकी है। जांच के लिए नियुक्त की गई एजेंसी एसआइटी ने शासन से स्पष्ट दिशा निर्देश मांगे हैं। दरअसल, शासन के आदेश और पत्रवलियों के समय में एकरूपता नहीं है।

गृह सचिव भगवान स्वरूप ने एक अप्रैल, 2012 से लेकर 31 मार्च, 2017 तक सहकारिता विभाग और उसके अधीनस्थ संस्थाओं में की गई सभी नियुक्तियों की जांच विशेष अनुसंधान दल से कराये जाने के लिए महानिदेशक एसआइटी को 27 अप्रैल को निर्देश जारी किया। सचिव ने आयुक्त एवं निबंधक सहकारिता के 28 मार्च के पत्र के आधार पर जांच कराने के आदेश दिए। इसमें 2012 से 2017 तक की नियुक्तियों के जांच के आदेश दिए लेकिन, आयुक्त एवं निबंधक की ओर से जो दस्तावेज लगाये गए वह 2015-2016 में हुई नियुक्तियों के ही थे।

इस पर एसआइटी की ओर से शासन से स्पष्ट आदेश मांगा गया है। 
उल्लेखनीय है कि तमाम औपचारिकता पूरी करने के बाद नौ मई को ही यह आदेश एसआइटी तक पहुंच गया लेकिन, अभी तक तकनीकी दांव-पेच में इसकी शुरुआत नहीं हो सकी, जबकि शासन ने दो माह से पहले ही जांच आख्या उपलब्ध कराने के निर्देश दिये हैं।

सपा शासन की 1500 से ज्यादा भर्तियों की हुई थी शिकायत : 
सपा सरकार के दौरान सहकारी संस्थागत सेवा मंडल के जरिये अलग-अलग पदों पर 1500 से ज्यादा भर्तियों में धांधली की शिकायत की गई थी। इनमें कोआपरेटिव बैंक की सहायक प्रबंधकों के पद पर की गई वह 53 नियुक्तियां भी थी, जिसमें एक ही विधानसभा क्षेत्र के ज्यादातर लोग नियुक्त किये गए थे।

ज्यादातर शिकायतें 2015-16 में हुई भर्तियों की: ‘
पिछली सरकार में की गई नियुक्तियों में धांधली की कई शिकायतें मिली। सभी को समेट कर एक एजेंसी से जांच कराने का फैसला हुआ। इसमें जितनी भी शिकायतें आ रही हैं सब 2015 और 2016 में हुई भर्तियों की हैं।

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