जल निगम भर्ती घोटाला :: गलत प्रश्नपत्र की जानकारी होने के बावजूद जिम्मेदार अधिकारियों ने षड्यंत्र के तहत परीक्षा परिणाम कराया घोषित , परीक्षा कराने वाली संस्था एपटेक की भूमिका कठघरे में ,क्लिक करे और पढ़े पूरी खबर

जल निगम भर्ती घोटाला :: गलत प्रश्नपत्र की जानकारी होने के बावजूद जिम्मेदार अधिकारियों ने षड्यंत्र के तहत परीक्षा परिणाम कराया घोषित , परीक्षा कराने वाली संस्था एपटेक की भूमिका कठघरे में  ,क्लिक करे और पढ़े पूरी खबर 




जलनिगम भर्ती घोटाले में पूर्व मंत्री आजम खां सहित अन्य के खिलाफ दर्ज एफआइआर की विवेचना में अब आरोपितों पर शिकंजा कसेगा। विशेष अनुसंधान दल (एसआइटी) की जांच में यह भी सामने आया है कि गलत प्रश्नपत्र की जानकारी होने के बावजूद जिम्मेदार अधिकारियों ने षड्यंत्र के तहत परीक्षा परिणाम घोषित करा दिया था। इसमें परीक्षा कराने वाली संस्था एपटेक की भूमिका कठघरे में है। करीब एक माह पूर्व ही उप्र पावर कारपोरेशन (यूपीपीसीएल) की ऑनलाइन परीक्षा में धांधली पकड़े जाने के बाद शासन ने एपटेक संस्था को ब्लैक लिस्ट किया था।

एसटीएफ ने 28 मार्च को यूपीपीसीएल की ऑनलाइन परीक्षा में धांधली का राजफाश किया था। यह परीक्षा भी एपटेक ने कराई थी। राज्य सरकार ने बड़ी कार्रवाई करते हुए विद्युत सेवा आयोग के अध्यक्ष व सचिव को निलंबित किया था। परीक्षा रद कर एपटेक को ब्लैक लिस्ट करने का आदेश दिया था। उल्लेखनीय है कि एपटेक ने जलनिगम से अनुबंध किया था कि जैसे ही परीक्षा समाप्त होगी, वैसे ही उत्तर कुंजी ऑनलाइन की जाएगी पर ऐसा नहीं हुआ। 

एसआइटी की जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि षड्यंत्र के तहत अपात्र अभ्यर्थियों को लाभ पहुंचाने के लिए परीक्षा परिणाम घोषित होने के करीब दो माह बाद 28 फरवरी, 2017 को जलनिगम की वेबासाइट पर अपलोड किया गया था। 

इससे पूर्व ही चयनित अभ्यर्थियों की भर्ती करा दी गई थी। उत्तर कुंजी व रिस्पांस-शीट ऑनलाइन किए जाने के बाद अभ्यर्थियों ने 43 आपत्तियां प्रत्यावेदन के जरिए जलनिगम को भेजी थीं। आपत्तियों के संबंध में एपटेक लि. द्वारा 22 जुलाई, 2017 को अपनी आख्या में स्वीकार किया था कि सहायक अभियंता की परीक्षा के प्रश्नपत्र में सात प्रश्न तथा 20 प्रश्नों के उत्तर के सही विकल्प त्रुटिपूर्ण पाये गए थे। 

तत्कालीन प्रबंध निदेशक ने इसकी जानकारी होने के बावजूद परीक्षा परिणाम संशोधित नहीं कराया था। एपटेक ने करार के तहत परीक्षा का प्राइमरी डाटा क्लाउड सर्वर पर सुरक्षित कराया गया था। वह प्रकरण का मूल्यवान साक्ष्य था, जिसे नष्ट करा दिया गया।

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