यूपी लोक सेवा आयोग में सपा शासनकाल के दौरान हुई भर्तियों में आयोग द्वारा किये गए मॉडरेशन के खेल को सुलझाने में जुटी सीबीआई , मामला सुलझते ही आ सकती है बड़ी गड़बड़ी सामने , क्लिक करे और पढ़े पूरी खबर
आयोग की पांच साल की भर्तियों की जांच कर रही सीबीआइ को प्रतियोगियों व सरकारी गवाहों से यह सुराग मिले हैं कि विभिन्न परीक्षाओं में चयनितों का फेल-पास करने का बड़ा अस्त्र मॉडरेशन प्रणाली रही है। आमतौर पर इस प्रणाली के तहत दिए जाने वाले अंक हर अभ्यर्थी को समान रूप से मिलने का नियम है, लेकिन आयोग के इस नियम के जरिये चहेतों को लाभ देने की छानबीन हो रही है। आयोग के सेक्शन आफीसर, तीन अनुभागों के सचिव सहित करीब एक दर्जन अधिकारी व कर्मचारियों को सीबीआइ ने तलब किया है, जो जरूरी दस्तावेजों के साथ अपनी बातें रख रहे हैं।
यही नहीं आयोग के चर्चित पूर्व अध्यक्ष के करीबी भी बुलाए गए हैं, उनमें से कुछ सेवानिवृत्त होने के बाद भी कैंप कार्यालय पहुंचे हैं। मॉडरेटर की भूमिका भी खंगाली जा रही है। पहले दिन सीबीआइ के एसपी राजीव रंजन खुद पूछताछ की कमान संभाले थे, शनिवार को वह दिल्ली गए हैं और उनकी टीम आयोग अफसरों से रूबरू हुई। उधर, आयोग की ओर से कहा गया है कि सीबीआइ चयन प्रक्रिया को जानने के लिए अफसर व कर्मचारियों से अभिलेखों के साथ बातचीत कर रही है। यह इंट्रोगेशन नहीं है।
चयनित छह अफसरों से पूछताछ :
सीबीआइ टीम ने पीसीएस 2015 में चयनित छह अफसरों से कैंप कार्यालय पर पूछताछ की है। यह प्रक्रिया शुक्रवार को रुक गई थी, लेकिन शनिवार को आए अफसरों से लंबा इंट्रोगेशन चला। उनसे वही सवाल पूछे गए कि चयन होने के बाद आयोग के किन अफसरों को थैंक्स कहा, उन्हें कैसे और कब से जानते हैं। इस दौरान कई चयनितों के चेहरों की रंगत बदलती रही। कुछ की सवालों का सीधा जवाब देने में जुबान लड़खड़ा गई। सूत्रों की मानें तो सभी 25 चयनितों से पूछताछ के बाद अन्य अभ्यर्थियों को भी तलब किया जा सकता है।
नौकरियों से सम्बन्धित हर जानकारी को अपने मोबाइल पर पाने के लिए हमारी आधिकारिक एप डाउनलोड करें